छतरपुर में एक MBBS डॉक्टर बच्चों के गले में फंसे सिक्के को निकालने के लिए अनोखा तरीका अपनाते हैं। खास बात ये है कि उनका ये तरीका न किसी किताब में लिखा है, न ही मेडिकल साइंस में पढ़ाया गया है। इसमें सर्जरी की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। डॉक्टर मनोज चौधरी अपने इस तरीके से अब तक 105 सिक्के निकाल चुके हैं। वे इलाज में काम आने वाली रबर की छोटी सी नली (Foley catheter) को गले में डालकर ये सिक्का निकालते हैं। डॉ. चौधरी जिला अस्पताल में पदस्थ हैं।
चेतावनी: यह खबर सिर्फ जानकारी के लिए है, घर पर सिक्का निकालने की कोशिश ना करें, इससे बच्चे की जान खतरे में पड़ सकती है। सिक्का फंसने पर तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करें।
छतरपुर के अनगौर गांव के रहने वाले बाबूलाल प्रजापति की 3 साल की बेटी साइना प्रजापति ने खेल-खेल में 5 रुपए का सिक्का निगल लिया था। जो उसके गले में ही फंसा रह गया। डॉ. चौधरी ने बताया कि सिक्का 2 दिनों से उसके गले में फंसा था। इस वजह से उसके गले में जख्म हो गया था। मैंने सबसे पहले बच्ची का एक्स-रे कराया और एक्स-रे के आधार पर बिना ऑपरेशन के 5 से 7 मिनट के अंदर सिक्का निकाल दिया। बच्ची अब सुरक्षित है।
डॉक्टर बोले- मैं फोली कैथेटर (Foley’s catheter) और 10 ml की एक सिरिंज की मदद से सिक्का निकालता हूं। सबसे पहले मैं एक्स-रे करवाता हूं, इससे अंदाजा लग जाता है कि सिक्का कहां है और किस स्थिति में है। फिर बीमार मरीजों को यूरिन रिलीज कराने में काम आने वाली रबर की छोटी सी नली (Foley’s catheter) के एक सिरे को गले में डाल देता हूं, उसे गले में फंसे सिक्के के नीचे तक जाने देता हूं, फिर 10 ml की एक सिरिंज से पंप कर हवा भरता हूं। जिससे गले के अंदर वाली नली का सिरा गुब्बारे की तरह फूल जाता है और फिर मैं आराम से नली को खींचता हूं, जिससे गुब्बारे की तरह फूले हिस्से के साथ सिक्का बाहर निकल आता है।
निजी अस्पताल में आता है काफी खर्च
डॉ.
चौधरी ने बताया कि किसी निजी अस्पताल में ऐसा गले में फंसा सिक्का निकालने
के लिए एंडोस्कोपी की मदद ली जाती है। वे मरीज को बेहोश भी करते हैं। इस
सबका काफी खर्च आता है, लेकिन मेरे इस तरीके से 5 मिनट में ही सिक्का बाहर आ
जाता है, इसमें बेहोश करने की भी जरूरत नहीं पड़ती।
डॉक्टर फीस में लेते हैं निकाला गया सिक्का
डॉ.
मनोज ने बताया कि सिक्के निगलने की ज्यादातर घटनाएं बच्चों के साथ ही होती
है। क्योंकि उनका गला और आहार नली छोटा होता है। इससे सिक्का गले और आहार
नली में फंस जाता है और उनके पेट में नहीं जा पाता। डॉक्टर ने हंसते हुए
बताया कि वह निकाले हुए सिक्के को ही फीस की तरह अपने पास रख लेते हैं।
जिसे देने में लोगों को भी कोई दिक्कत नहीं होती।
2 दिन तक यहां-वहां ही घूमते रहे
बच्ची के पिता
बाबूलाल ने बताया कि जब सिक्का फंसा तो पहले हमने घर पर ही घी, दूध और
लिक्विड पिलाकर सिक्का निकालने का प्रयास किया। बात नहीं बनी तो हकीमों और
गांव के डॉक्टर्स के पास लेकर गए। 2 दिन तक हम यहां-वहां सिक्का निकलवाने
के लिए घूमते रहे। 2 दिन तक हमारी बिटिया ने खाना नहीं खाया और उसकी हालत
बिगड़ने लगी। तभी एक परिचित ने हमें डॉ. चौधरी के तरीके के बारे में बताया,
वह इस मामले में एक्सपर्ट तो हैं ही साथ ही इसके बदले कोई पैसा भी नहीं
लेते। डॉक्टर साहब ने बताया कि अगर थोड़ा और लेट हो जाते तो सिक्का आहार नली
को काट देता और कई तरह की अन्य दिक्कतें हो जातीं।