नई दिल्ली: बड़े बिजनस घरानों के कर्ज को लेकर सवाल उठते रहे हैं। हाल ही जब हिंडनबर्ग ने अडानी समूह को लेकर निगेटिव रिपोर्ट जारी की। उसनें भी अडानी के भारी भरकम कर्ज पर सवाल खड़े किए गए। अडानी समूह के कर्ज को लेकर पहले से भी सवाल उठते रहे हैं। हिंडनबर्ग के विवाद के बाद अडानी समूह के कर्ज को लेकर विवाद और बढ़ गया। अडानी समूह ने भी अपने कर्ज को कम करने लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। अडानी समूह ने निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए समय से पहले 2.65 अरब डॉलर के कर्ज का भुगतान कर दिया है। अडानी समूह जहां कर्ज चुका रहा है, वहीं भारत के सबसे अमीर शख्स रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन मुकेश अंबानी का कर्ज बढ़ रहा है।
रिलायंस को कर्ज लेने के लिए मची होड़
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड अपने कैपेक्स और रिलायंस जियो के 5जी कारोबार का विस्तार करने के लिए 3 अरब डॉलर का लोन लेने जा रही है। इस लोन के लिए सिंडिकेशन में 10 से अधिक बैंक शामिल हो सकते हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को लोन देने वाले बैंकों के सिंडिकेट में और एशियाई बैंक शामिल हो सकते हैं। ये लोन पिछले पांच सालों में भारत के किसी भी कॉरपोरेट हाउस की ओर से लिए गए लोन की ये सबसे बड़ी डील है। माना जा रहा है कि इसी महीने ये डील पूरी हो सकती है। रिलायंस इंडस्ट्रीज को मिलने वाले इस लोन का सिंडिकेशन पूरा करने के लिए तीन दर्जन के करीब बैंक शामिल हो सकते हैं। बैंकरों ने कहा कि कम से कम पांच सालों में किसी भी भारतीय कॉरपोरेट की तरफ से ये सिंडिकेटेड टर्म लोन की सबसे बड़ी डील है।
क्यों मची है होड़
रिलायंस को लोन देने के लिए सिंडिकेशन प्रोसेस जारी है, जिसमें 10 और बैंक शामिल हो सकते हैं। बैंक रिलायंस को दिए जाने वाले इस लोन के लिए खुद को शामिल करना चाहते हैं। दरअसल रिलायंस की रेटिंग अच्छी है। कारोबार की अपनी साख है। अनिश्चित समय में रिलायंस जैसी कंपनियों की रेटिंग अच्छी है, जिसके कारण बैंकों को उम्मीद है कि उन्हें अपने लोन पर अच्छा रिटर्न मिलेगा। रिलायंस को लोन देने के लिए सिंडिकेट में पहले सिटी बैंक, बैंक ऑफ अमेरिका, BNP पारिबा, HSBP, स्टैंडर्ड चार्टर्ड, बैंक ऑफ इंडिया जैसे बड़े बैंक शामिल हुए। बाद में इसमें बार्कलेज, जेपी मॉर्गन, बैंक ऑफ इंडिया और सुमितोमो मित्सुई ट्रस्ट बैंक भी इस लिस्ट में शामिल हुए।