इस्लामाबाद : पाकिस्तान के लिए मौजूदा वित्तीय वर्ष इतिहास का सबसे चुनौतीपूर्ण साल होता जा रहा है। एक के बाद एक आर्थिक झटकों ने इस वित्तीय वर्ष में करीब 40 लाख पाकिस्तानियों को गरीबी में झोंक दिया है। यह कहना है वर्ल्ड बैंक (World Bank) का जिसने इस्लामाबाद को आगाह किया है कि ‘सार्वजनिक कर्ज संकट’ से बचने के लिए उसे तत्काल नए विदेशी कर्ज की व्यवस्था करनी होगी। वर्ल्ड बैंक की प्रमुख रिपोर्ट ‘पाकिस्तान डेवलेपमेंट अपडेट’ ने पाकिस्तान को उसकी आर्थिक और कर्ज व्यवहार्यता के लिए गंभीर खतरों के बारे में चेतावनी दी है।
रिपोर्ट ने चालू वित्त वर्ष के लिए 29.5 फीसदी की औसत महंगाई दर के साथ सुस्त आर्थिक विकास का अनुमान लगाया है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार पाकिस्तान का भविष्य ‘बेहद अनिश्चित’ है और ‘अंधेरे में घिरा हुआ है’। इस साल सिर्फ 0.4 प्रतिशत आर्थिक विकास और अगले वित्तीय वर्ष के लिए 2 प्रतिशत का अनुमान है। चालू वित्तीय वर्ष के लिए औसत मुद्रास्फीति दर 29.5 प्रतिशत और अगले साल के लिए 18.5 प्रतिशत अनुमानित है। यह दिखाता है कि वार्षिक मुद्रास्फीति दर बहुत अधिक होगी।
गरीबी की चपेट में आने वाले हैं 39 लाख लोग
वर्ल्ड बैंक ने चेतावनी दी है कि वित्तीय वर्ष-2023 में गरीबी बढ़कर 37.2 प्रतिशत होने का अनुमान है यानी पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में अतिरिक्त 39 लाख लोग गरीबी की चपेट में आ जाएंगे। पाकिस्तान में गरीबी की गहराई और गंभीरता तेजी से बढ़ रही है। विश्व बैंक ने बड़े पैमाने पर स्थिरता लाने के लिए, ‘विश्वास बहाल करने के लिए’ और सार्वजनिक कर्ज संकट को टालने के लिए बाहरी ऋण को सुरक्षित करना बेहद जरूरी है।
सऊदी अरब ने दिया सबसे बड़ा झटका
विश्व बैंक ने आयात पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के नजरिए की आलोचना की जिससे ‘भरोसे’ को काफी नुकसान हुआ है। संकट के समय में पाकिस्तान को अब तक सिर्फ चीन से आर्थिक मदद हासिल हुई है। मुस्लिम दोस्त सऊदी अरब से पाकिस्तान को कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। सऊदी अरब ने अपनी पॉलिसी में ही बदलाव कर दिया है। नए नियमों के तहत सऊदी अरब अब किसी को बिना किसी शर्त खैरात नहीं देगा। सऊदी मंत्री पहले ही कह चुके हैं कि ‘हम अपनी जनता पर टैक्स लगाते हैं और दूसरों से भी इसकी उम्मीद करते हैं’। इससे सबसे बड़ा झटका पाकिस्तान को लगा है।