नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ वकील शांति भूषण का मंगलवार को निधन हो गया। दिल्ली स्थित आवास पर उन्होंने अंतिम सांसें लीं। वह 97 साल के थे। 1977 से 1979 के बीच वह भारत के कानून मंत्री रहे। शांति भूषण जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य थे। 1980 में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। हालांकि बाद में एक याचिका को लेकर जब पार्टी ने उनकी सलाह नहीं मानी तो उन्होंने बीजेपी छोड़ दी।
शांति भूषण और उनके बेटे प्रशांत भूषण दोनों अन्ना आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। शांति भूषण ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक अहम मामले में राजनारायण का प्रतिनिधित्व किया था। शांति भूषण इंदिरा गांधी के खिलाफ केस में राजनारायण के वकील थे। इस केस में ऐसा फैसला आया जिसने देश में राजनीतिक भूचाल ला दिया। इंदिरा गांधी को अपना पद छोड़ना पड़ा था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण के निधन पर शोक जताया और कहा कि कानूनी क्षेत्र में उनके योगदान और वंचितों के हक में आवाज उठाने के जुनून के लिए उन्हें याद किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि उनके निधन से दुखी हूं। उनके परिवार के प्रति संवेदना। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी शांति भूषण के निधन पर दुख जताया है।
शांति भूषण अपने समय में जाने माने वकीलों में शुमार रहे। आपातकाल के दौरान उन्होंने आंदोलन में हिस्सा लिया था। इसके बाद उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कई आंदोलनों में शिरकत की। शांति भूषण को संविधान विशेषज्ञ के तौर पर भी जाना जाता था। वह पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे।
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