*पुरानी पेंशन आंदोलन में अब निर्णायक कदम उठाने का वक्त है- विजय कुमार बंधु*
कानपुर देहात। अटेवा पेंशन बचाओ मंच उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय अध्यक्ष एनएमओपीएस एवं प्रदेश अध्यक्ष अटेवा विजय कुमार बन्धु की अध्यक्षता एवं प्रदेश महामंत्री डॉ. नीरजपति त्रिपाठी के संचालन में बैठक सम्पन्न हुई। जिसमें सभी प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारीगण शामिल हुए। बैठक में पुरानी पेंशन बहाली के आगामी आंदोलन को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने संगठन की मजबूती पर बल देते हुए कहा कि सरकार एनपीएस एवं यूपीएस के विकल्प से केवल गुमराह कर रही है, संगठित होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है। पुरानी पेंशन हमारा संवैधानिक अधिकार है जिसके लिए अंत तक संघर्ष करेंगे। प्रदेश उपाध्यक्ष चंद्रहास सिंह ने कहा कि अटेवा देश के लाखों पेंशन विहीन शिक्षको एवं कर्मचारियों के भविष्य की आर्थिक सामाजिक सुरक्षा की उम्मीद है जिसके लिए अटेवा दृढ़संकल्पित है जब तक पुरानी पेंशन बहाल नहीं होगी तब तक संघर्ष जारी रहेगा। प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली का आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर है। बैठक में आगामी आंदोलन की मजबूत रणनीति पर सभी प्रदेश पदाधिकारियों ने विचार विमर्श किए। इस अवसर पर प्रदेश कोषाध्यक्ष विक्रमादित्य मौर्य, प्रदेश सलाहकार राकेश रमन, ओमप्रकाश सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. आशा राम, प्रदेश मंत्री विजय प्रताप, संजय उपाध्याय एवं अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे। गौरतलब है अटेवा एनएमओपीएस के बैनर तले विजय कुमार बन्धु के नेतृत्व में पुरानी पेंशन बहाली की लड़ाई लगभग 12 वर्षों से अनवरत चल रही है। यह कोई सामान्य आंदोलन नहीं बल्कि देश के करोड़ों कर्मचारियों और उनके परिवारों के भविष्य की लड़ाई है। यह एक ऐसा संघर्ष है जिसमें पसीना भी बहा है और आँसू भी। जोश भी देखा गया है और जज्बा भी लेकिन अब यह आंदोलन एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। वर्तमान में जब यह आंदोलन एक-एक कदम आगे बढ़ रहा है। जब जनमानस इस क्रांति की लौ से जाग रहा है तब कुछ स्वार्थी तत्व, कुछ लालची चेहरे इसे कमजोर करने का षड्यंत्र भी रच रहे हैं। ये वही मानसिकता है जो अंग्रेजों के समय भी थी जब कुछ भारतीय मुखबिर बनकर अपने ही देश की आजादी को टालते रहे थे। अगर पूरे देश ने आजादी की लड़ाई में एक साथ कदम बढ़ाया होता तो 200 वर्षों तक अंग्रेजो की गुलामी नहीं झेलनी पड़ती पर तब भी और आज भी, देश को पीछे खींचने वाले वही अपने ही हैं जो व्यक्तिगत लाभ के लिए जनहित के आंदोलन से मुंह मोड़ते हैं। लोगों को गुमराह होने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह आंदोलन सत्य का है, न्याय का है, सिर्फ पेंशन का नहीं आपके सम्मान और स्वाभिमान का आंदोलन है। पुरानी पेंशन 100 फीसदी बहाल होगी। यह कोई सपना नहीं, यह संकल्प है जिसे सब मिलकर पूरा करेंगे लेकिन याद रखिए, केवल संकल्प से नहीं, संख्या बल से, एकजुटता से और राजनीतिक दबाव से ही यह जीत संभव है।





