मध्य प्रदेश में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। वहां कई बार सीएम बदलने की चर्चा हो चुकी है और बीजेपी नेता बीच-बीच में शिवराज सिंह चौहान सरकार की कुछ नीतियों को लेकर भी सवाल उठाते रहे हैं। ऐसे में बीजेपी को क्या चुनाव में सीएम कैंडिडेट के साथ उतरना चाहिए या फिर पीएम मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा जाएगा? बीजेपी की राज्य में क्या तैयारी है और क्या गुजरात की तरह सीनियर नेताओं के टिकट कटेंगे? इस बारे में विशेष संवाददाता
बीजेपी की आदत है कि हम जैसे ही सरकार में आते हैं, अगले चुनाव की तैयारियां करने लगते हैं। हम अपने वादे पूरे करते हैं। हमने जनता से जो भी वादे किए थे वे पूरे किए। इसलिए जनता के बीच जाने में कोई संकोच नहीं है। प्रधानमंत्री आवास योजना, गरीब अन्न योजना का लोगों को फायदा मिला है। गरीब, पिछड़ा वर्ग के लिए योजनाओं का लाभ हमने अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाया है और जनता हमें फिर से आशीर्वाद देगी।
कांग्रेस ने जो वादे किए थे, उनमें से एक भी पूरा नहीं किया बल्कि जमकर भ्रष्टाचार किया। हमें तो और फायदा है कि लोगों ने कांग्रेस की सरकार देखी है। उन्हें पता है कि कांग्रेस सरकार में क्या होता था। कांग्रेस ने कहा था कि 15 दिन में किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ तो हम सीएम बदल देंगे, लेकिन 15 महीनों तक यह नहीं हुआ। बेरोजगार युवाओं को रोजगार भत्ता देने की बात कही थी, आंगनबाड़ी में कार्यरत महिलाओं की तनख्वाह बढ़ाने की बात थी, लेकिन कुछ भी नहीं किया। लोगों का कांग्रेस पर विश्वास नहीं है, इसलिए बीजेपी की ही सरकार बनेगी।मध्य प्रदेश में बीजेपी के कई सीनियर नेता हैं, कई नेताओं के नाराजगी भरे बयान भी आते रहे हैं। उमा भारती भी कई बार सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलती रही हैं। नाराजगी कैसे दूर होगी?
हम कोई सरकार के पिछलग्गू नहीं हैं। हम सब कार्यकर्ता हैं। हमें लगता है कि सरकार में कोई काम गलत हो रहा है तो हम बोलते हैं। हमारी पार्टी में लोकतंत्र है। अगर सरकार अच्छा काम करेगी तो हम तारीफ करेंगे। अगर ब्यूरोक्रेसी कोई गलत काम करेगी तो हम उसका विरोध भी करेंगे। हम सरकार के नुमाइंदे नहीं हैं, हम पार्टी के लोग हैं। हम चाहते हैं कि सरकार अच्छा काम करे। अच्छे काम की हम तारीफ भी करते हैं।
यह पार्टी का फैसला होगा। सीनियर नेता जो फैसला करेंगे, वह सर्वमान्य होगा। फिर भी मोदी जी का इतना बड़ा नाम है कि वह जहां पहुंच जाते हैं, वहां पर जनता उनकी राजनीतिक और प्रशासनिक इच्छाशक्ति से प्रभावित होती है। गरीब कल्याण की योजनाओं की वजह से मोदी जी का फैक्टर देश भर में जबरदस्त रूप से छाया हुआ है, बल्कि एक मोदी वोट बैंक बन गया है। इसलिए जरूरी नहीं कि प्रदेश में किसी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाए। मोदी जी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जा सकता है।
गुजरात में बहुत से सीनियर नेताओं के टिकट कटे। कुछ ने खुद ही चुनाव न लड़ने का एलान कर दिया था। क्या मध्य प्रदेश में भी सीनियर्स को युवाओं के लिए जगह छोड़नी चाहिए?
हम भी चाहते हैं कि नया नेतृत्व आगे आए। बीजेपी ने हमेशा 25 से 40 पर्सेंट तक नए लोगों को मौका दिया है। हमारे लिए यह कोई बड़ा सवाल नहीं है। हमें सरकार बनानी है और नया नेतृत्व भी तैयार हो, उसकी भी कोशिश करनी है। इसलिए नए लोगों को भी मौका देंगे। पुराने लोग हमेशा बने रहें, कोई जरूरी थोड़े ही है। बहुत सारे काम हैं करने के लिए।
इसका अच्छा असर होगा। पंजाब में उनकी सरकार है और वहां सबने देखा कि किस तरह से अराजकता हुई है। जिन लोगों के बल पर उन्होंने सरकार बनाई, वे लोग सरकार को जेब में रखकर घूम रहे हैं, सरेआम हथियार लेकर घूमे थे। जिसने अपराध किया, उसे छोड़ने की घोषणा कर दी। लोगों ने वहां प्रशासनिक और राजनीतिक इच्छाशक्ति की धज्जियां उड़ती देखी हैं, उससे सरकार की छवि खराब हुई है। इसलिए अब आम आदमी पार्टी की कहीं सरकार बनेगी, यह भूल जाइए।
ल्ड पेंशन स्कीम हर चुनाव में मुद्दा बन रही है। कांग्रेस ने कहा है कि सरकार में आएंगे तो ओल्ड पेंशन स्कीम लाएंगे। क्या बीजेपी को नुकसान की आशंका है?
राजनीति में सबसे बड़ी बात विश्वास होती है। हमने जनता की सेवा करके विश्वास अर्जित किया है। कांग्रेस विश्वास खो चुकी है इसलिए वह कुछ भी वादे करे, लोगों पर उसका कोई असर नहीं होगा।