नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि उसके आदेशों के बावजूद नफरत फैलाने वाले भाषणों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। इसने कहा कि अगर शीर्ष अदालत को ऐसे बयानों पर रोक लगाने के वास्ते आगे निर्देश देने के लिए कहा गया तो उसे ‘बार-बार शर्मिंदा’ होना पड़ेगा।
वकील के बार-बार आग्रह करने पर अदालत ने उन्हें आवेदन की एक प्रति महाराष्ट्र सरकार के वकील को देने को कहा। पीठ ने कहा, ‘राज्य को एक प्रति दें, हम इसे प्रधान न्यायाधीश के आदेश के अधीन कल सूचीबद्ध करेंगे। केवल यह मामला, न कि सभी।’
शीर्ष अदालत ने पिछले साल 21 अक्टूबर को दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों को नफरत फैलाने वाले भाषणों पर कड़ी कार्रवाई करने, दोषियों के खिलाफ शिकायत का इंतजार किए बिना तुरंत आपराधिक मामले दर्ज करने का निर्देश दिया था।
इसने यह भी चेतावनी दी थी कि इस ‘अत्यंत गंभीर मुद्दे’ पर कार्रवाई करने में प्रशासन की ओर से कोई भी देरी अदालत की अवमानना को आमंत्रित करेगी।