नई दिल्ली: वैसे, सरकार सुप्रीम कोर्ट में साफ तौर पर समलैंगिक विवाह का विरोध कर चुकी है लेकिन हाल में किए गए एक सर्वे में नई बात पता चली है। करीब 6000 लोगों पर किए गए सर्वे की मानें तो समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से LGBTQIA युवाओं में अवसाद, तनाव और आत्महत्या की घटनाएं कम होंगी। मनोवैज्ञानिक, शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों की एक टीम ने कुछ दिन पहले ही यह सर्वे किया है। इसके जरिए भारत में सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर इस बात को समझने की कोशिश की गई कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिलने से क्या असर पड़ेगा? यह सर्वे ऐसे समय में आया है जब आज सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई होनी है।
सर्वे की शुरुआती जानकारी के मुताबिक ज्यादातर लोग समलैंगिक समुदायों में वैवाहिक समानता मिलने का स्वागत करेंगे। इसकी वजह यह है कि इससे एलजीबीटी समुदायों के परिवारों और सदस्यों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होगा। उनका सामाजिक जीवन भी सुधरेगा। सर्वे में इस बात पर जोर दिया गया है कि कानून और नीतियों का व्यक्ति एवं समाज के मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के बीच सीधा कनेक्शन है। 18 से लेकर 60 साल से अधिक उम्र के 5,825 लोगों के बीच अंग्रेजी में यह सर्वे देश के 27 राज्यों में किया गया। इनमें से 37 फीसदी लोगों ने खुद को LGBTQIA+ बताया।
समलैंगिकों में तनाव घटेगा
सर्वे के मुताबिक 87 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सेक्शन 377 द्वारा होमोसेक्स को अपराध के दायरे से बाहर करने से ऐसे लोगों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हुआ है क्योंकि उनके साथ सपोर्ट बढ़ा है और लांछन जैसी बात कम हुई है। उन्होंने संभावना व्यक्त की है कि सेम-सेक्स मैरिज को मान्यता मिलने का भी सकारात्मक असर होगा। एक प्रतिभागी ने कहा, ‘भेदभाव, अलग किए जाने और हिंसा के डर से मन में हमेशा एक तनाव और चिंता का भाव बना रहता है। समलैंगिक संबंध को कानूनी कवच मिलने से यह तनाव कम होगा।’