हमारे देश में दामाद के बड़े जलवे रहते हैं। पूछ-परख इतनी कि किसी राजा से कम फीलिंग नहीं आती। दामाद किसी मंत्री का हो तो फिर क्या कहने। एमपी में ऐसे ही एक दामाद की खूब चर्चा है। लोग किसी काम के लिए मंत्री के बजाय सीधे दामाद जी से मिलने लगे। दामाद के इसी जलवे ने मंत्री की परेशानी बढ़ा दी। चुनावी मौसम में ऊपर से आपत्ति आई तो मंत्री ने दामाद को हटाकर बेटे को जिम्मेदारी सौंपी। ऐसा करने के लिए मंत्री को संघ की नाराजगी का बहाना बनाना पड़ा। आखिर ऐसा हुआ क्यों?
दरअसल, मंत्रीजी ने क्षेत्रीय कार्यालय की कमान अपने दामाद को दे रखी थी। दामाद ने पहले तो अनुशासन में रहकर जिम्मेदारी निभाई, लेकिन बाद में उन्हें अहसास हुआ कि समय रहते कुछ कर लिया जाए। वरना बाद में हाथ मलते रह जाएंगे। फिर क्या था, उन्होंने ताबड़तोड़ बैटिंग शुरू कर दी। हर बॉल पर छक्का लगाने की कोशिश की। कई बार लगे भी। उनके मन से आउट होने का डर खत्म सा हो गया था।
सुना है कि दामाद जी की बेखौफ बल्लेबाजी करने की शिकायतें ‘सरकार’ तक पहुंचने लगी, जिसके बाद मंत्री जी ने दामाद की कार्यालय से छुट्टी कर दी। इसके लिए उन्होंने बहाना यह बनाया कि संघ का संदेश आया है कि दामाद जी को राजनीतिक कामों से दूर करें। चुनाव का वक्त है, ऐसे संवेदनशील समय में कदम फूंक-फूंक कर रखने की जरूरत है। विरोधी हम पर निगाहें लगाए बैठे हैं।
मंत्री ने अब व्यवस्था बेटे को सौंप दी है, जिसको मैदान में चारों तरफ हाई शॉट लगाने का हुनर विरासत में मिला है। बता दें कि यह वही मंत्री हैं, जिनकी ‘सरकार’ से पटरी नहीं बैठती है। उन्हें मंत्री पद भी दिल्ली में पैठ होने के कारण मिला।
कैसे बन गए महामंत्री… ‘वंदे मातरम’ नहीं गा पा रहे हो?
बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले… मिर्जा गालिब की लिखी ये लाइन बीजेपी संगठन के एक पदाधिकारी पर फिट बैठती है। हुआ यूं कि पिछले सप्ताह बीजेपी दफ्तर में विकास यात्रा की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई गई थी। इसके पहले राष्ट्रगीत वंदे मातरम् का गायन हुआ, लेकिन मंच पर मौजूद एक महामंत्री एक ही लाइन को बार-बार गा रहे थे। इससे सामने बैठे नेताओं की लय बिगड़ गई। सही तरीके से नहीं गाने पर बीजेपी के क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल नाराज हो गए। उन्होंने प्रदेश महामंत्री को बीच में ही टोकते हुए रोक दिया। इसके बाद दोबारा राष्ट्रगीत का गायन किया गया।
सुना है कि जामवाल ने सबके सामने कह दिया- कैसे बन गए महामंत्री, जब राष्ट्रगीत वंदे मातरम् ही नहीं गा पा रहे हो? अचानक हुए इस घटनाक्रम के बाद बैठक में सन्नाटा पसर गया। बता दें कि यह महामंत्री चंबल क्षेत्र से आते हैं।
कैसे लीक हो गया ‘लाडली बहना’ योजना का ड्राफ्ट
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चौथे कार्यकाल की सबसे महत्वाकांक्षी योजना ‘लाडली बहना’ का ड्राफ्ट कैबिनेट में जाने से पहले ही लीक हो गया था। जिसके कारण योजना के वे तथ्य भी सार्वजनिक हो गए, जिन पर वित्त विभाग ने सवाल उठाए थे। मुख्यमंत्री कार्यालय ने महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों से इसके बारे में पूछताछ की। पता चला कि राज्य प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी ने इसे लीक किया है। फिर क्या था, इसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ी।
सुना है कि यह अफसर मंत्रालय के शीर्ष अफसरों का चहेता है। वे पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधीन काम कर रहे थे। हाल ही में उनका ट्रांसफर हो गया था, लेकिन उन्हें रिलीव नहीं किया गया। मामला ‘सरकार’ से जुड़ा था, लिहाजा उन्हें एक तरफ रिलीव कर दिया गया।
दिल्ली के ‘जासूस’ एमपी में सक्रिय
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को अब सिर्फ 8 महीने का वक्त बचा है। लिहाजा केंद्र सरकार ने एमपी पर फोकस शुरू कर दिया है। प्रदेश के हर जिले के लिए दिल्ली से अफसरों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। जो हर महीने अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे।
इसका पता तब चला, जब विदिशा में 5-जी नेटवर्क सेवा शुरू हुई। सुना है कि स्थानीय अफसरों को दिल्ली से पहुंचे एक अफसर ने कुछ घंटे पहले ही आने की सूचना दी। फिर क्या था, मंत्रालय में अफसरों को पता चला कि सीक्रेट प्लान के तहत केंद्र ने अपने अफसरों को सरकारी योजनाओं की निगरानी करने की जिम्मेदारी जिलेवार दी है। जो अपनी रिपोर्ट सीधे पीएमओ को देंगे। इन अफसरों का किसी न किसी बहाने से जिलों में पहुंचना शुरू हाे चुका है। ऐसे में ‘सरकार’ के करीबियों का टेंशन में आना लाजिमी है।
यहां फ्री में लिखी जाएगी रिपोर्ट…
शहडोल में एक थाना ऐसा भी है, जहां थाने के बाहर एक पोस्टर लगा है- दलालों से सावधान… यहां फ्री में लिखी जाएगी रिपोर्ट। यह पोस्टर टीआई ने लगवाया है। सवाल यह है कि यह नौबत क्यों आई? कौन है जो रिपोर्ट के बदले रिश्वत ले रहा था?
सुना है कि कुछ दलाल अपने आप को एक राजनीतिक दल का होने का दावा कर लोगों से वसूली कर रहे थे, लेकिन टीआई चाहते हुए भी कार्रवाई नहीं कर पा रहे थे। इसको लेकर उन्होंने ‘ऊपर’ तक यह बात पहुंचाई थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। फिर टीआई ने यह तरीका निकाला। वे अब कह रहे हैं कि यह नवाचार है।