सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजीव गांधी हत्याकांड मामले में दोषियों की रिहाई के आदेश दिए। इस आदेश के बाद चार दोषियों की जिंदगी पशोपेश में पड़ गई है। वे त्रिशंकु भूमि में लटक गए हैं। मतलब कानून वे किसी देश के नागरिक नहीं हैं। मुरुगन उर्फ श्रीहरन, संथन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार के अनुसार वे श्रीलंकाई हैं, हालांकि उनके पास इसे साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं है। ऐसे में जेल से छूटने के बाद वे कहां जाएं? एक भारतीय नागरिक, नलिनी से शादी करने के आधार पर, मुरुगन को भारत में रहने का अधिकार है लेकिन उसका भी मामला अवैध रूप से भारत में आने को लेकर फंस सकता है।
भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 5(1)(सी) कहती है कि एक व्यक्ति जिसने भारत के नागरिक से शादी की है, वह भारत में रह सकता है और नागरिकता का दावा कर सकता है। लेकिन एक शर्त है यह अधिकार उन लोगों को बाहर कर देता है जो देश में अवैध रूप से प्रवेश करते हैं। श्रीहरन ने अवैध रूप से भारत में प्रवेश किया और रहा। चारों दोषियों के आगे चार रास्ते बनते हैं
शरणार्थी शिविरों में भेजे जा सकते हैं
उनके साथ दो चीजें हो सकती हैं। एक, जैसे ही वे जेल से बाहर आते हैं तो
उन्हें हिरासत में लिया जा सकता है और शरणार्थी शिविरों में भेजा जा सकता
है। उनके साथ किसी अन्य श्रीलंकाई नागरिक की तरह व्यवहार किया जा सकता है,
जो वैध यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश कर गए थे।
श्रीलंका खंगाल सकती है पहचान
दूसरा श्रीलंका की सरकार उनकी राष्ट्रीय पहचान के विवरण को खंगाल सकती है
और भारत को एक औपचारिक प्रत्यर्पण अनुरोध कर सकती है। उनके सिद्ध एलटीटीई
लिंक, और श्रीलंका की वर्तमान आर्थिक और राजनीतिक स्थिति को देखते हुए,
रिहा किए गए अपराधी स्वयं लंका की यात्रा नहीं करना चाहेंगे।
भारतीय नागरिक दे सकते हैं आवेदन
तीन, कुछ भारतीय नागरिक उनके लिए जमानत दे सकते हैं। इसके लिए वे जिले में
शरणार्थी शिविरों के प्रभारी जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को एक आवेदन कर
सकते हैं। इस आवेदन में यह अनुरोध किया जा सकता है कि उन्हें अपने साथ
शरणार्थी को समायोजित करने की अनुमति दी जा सकती है। अधिकारी, ऐसी
परिस्थितियों में, अन्य कारकों के साथ-साथ खतरे की धारणा का आकलन करेंगे,
और ‘शरणार्थी’ को अपने भारतीय मेजबान के साथ रहने की अनुमति देंगे।
किसी भी देश से कर सकते हैं अनुरोध
चार, वे शरण के लिए या तो भारत में या किसी अन्य देश में आवेदन कर सकते
हैं। जो देश उनकी शरण याचिका को स्वीकार करता है, उसे भारत से उन्हें वापस
भेजने के लिए कहना पड़ता है। अगर भारत चाहे तो उन्हें यहीं शरण दे सकता है।