2022 की उथल पुथल के बाद पड़ोसी देश श्रीलंका में पहली बार राष्ट्रपति चुनाव हुए हैं. शनिवार को डाले गए वोटों की आज सुबह से ही गिनती शुरू हो गई थी और इसके नतीजे नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) के अनुरा कुमारा दिसानायके के हक में आए हैं. श्रीलंका के मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके शुरुआती रुझानों से ही कर्ज में डूबे देश के अगले राष्ट्रपति बनने की ओर आगे बढ़ रहे है. श्रीलंका की जनता इस चुनाव में ऐसे नेता की तलाश कर रही थी, जो देश की नाजुक आर्थिक स्थिति को रिकवर करने के लिए कदम उठाए.
श्रीलंका की जनता ने अपना भरोसा दिसानायके पर जताया है और उन्होंने सुबह 10 बजे तक करीब 44 फीसद वोट हासिल कर लिए हैं और वे अपने प्रतिद्वंद्वियों साजिथ प्रेमदासा और वर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे काफी आगे चल रहे हैं. साजिथ प्रेमदासा को करीब 32 फीसद और रानिल विक्रमसिंघे को महज 15.4 फीसदी वोट मिले हैं.
कौन हैं अनुरा कुमारा दिसानायके?
अनुरा कुमार दिसानायके श्रीलंका की राजधानी कोलंबो से सांसद हैं. वह 2019 में भी राष्ट्रपति चुनाव लड़ चुके हैं और वे अपने कॉलेज के समय से JVP पार्टी से जुड़े हुए हैं. दिसानायके पहली बार 2000 में सांसद चुने गए थे, जिसके बाद 2004 से 2005 तक वे कृषि, पशुधन, भूमि और सिंचाई मंत्री रहे और 2015 से 2018 तक मुख्य विपक्षी सचेतक रहे. दिसानायके को 2 फरवरी 2014 को JVP पार्टी के 17वें राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था.
इस चुनाव में वह नेशनल पीपुल्स पावर और जनता विमुक्ति पेरमुना पार्टी के की और से मैदान में थे. दिसानायके ने राष्ट्रपति पद के लिए नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) गठबंधन के ओर से चुनाव लड़ा था. नेशनल पीपुल्स पावर में मार्क्सवादी-झुकाव वाली पार्टी जनता विमुक्ति पेरेमुना JVP पार्टी शामिल है, दिसानायके भी इसी पार्टी से सांसद हैं.
किन मुद्दों पर लड़ा है चुनाव?
उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी उपायों और गरीबों के कल्याण की अपनी नीतियों पर जनता का ध्यान खींचा है. दिसानायके ने चुनाव प्रचार करते हुए देश में कई अहम बदलावों का वादा किया, जिसमें जीत के बाद 45 दिनों के भीतर संसद को भंग करना भी शामिल है. उन्होंने पूरे चुनाव में खुद एक उदारवादी और क्रांतिकारी नेता के तौर पर पेश किया है.