नई दिल्ली: ऐसे समय जब वैश्विक स्तर पर बहुत उठापटक मची रही भारत में अमेरिका के पूर्णकालिक राजदूत आने में दो साल क्यों लगे? नए राजदूत की नियुक्ति को लेकर क्यों कई तरह के सवाल हैं? नए राजदूत को लेकर भारत सरकार क्यों सतर्क होकर उनके आने की प्रतीक्षा कर रही है? इस नियुक्ति के क्या मायने हैं? अमेरिका ने लॉस एंजल्स के पूर्व मेयर एरिक गार्सेटी को भारत में अपना राजदूत नियुक्त करने का कानूनी रास्ता साफ करने के बाद ये सवाल उठ रहे हैं। अगले कुछ दिनों में वह अपना पदभार संभालेंगे।
अमेरिका के नए राष्ट्रपति बनने के बाद 2021 में जो बाइडन ने गार्सेटी की नियुक्ति की थी। डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद से हटने के बाद राजदूत ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद नियुक्ति की गई थी। अमेरिकी राजदूत की नियुक्ति इस समय इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत इस साल G-20 की अध्यक्षता कर रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति इसमें भाग लेने सितंबर में भारत आएंगे। साथ ही रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर भी वैश्विक स्तर पर कई तरह की उठापटक है।
गार्सेटी बाइडन के करीबी सहयोगी हैं। 2020 में वह राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की दौड़ में बाहर होने के बाद बाइडन के चुनाव अभियान के सह-अध्यक्ष रहे थे। उन्हें बाइडन के मंत्रिमंडल में शामिल होना था, लेकिन वह कामयाब नहीं हुए। बहुत कम पदों के लिए बहुत ज्यादा दावेदार थे। वह अमेरिका में सबसे युवा मेयर रहे हैं।
क्यों आई रुकावट
जुलाई 2021 में बाइडन ने उन्हें भारत में अमेरिका का राजदूत बनाया था। उसी वक्त सीनेट की एक रिपोर्ट में उन पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने नजदीकी सलाहकारों में से एक रिक जैकब्स के खिलाफ लगे यौन प्रताड़ना के आरोपों की अनदेखी की थी। इस मामले ने तूल पकड़ा। जांच कमिटी बैठी और पूरे एक साल सुनवाई हुई, जिसके बाद वोटिंग हुई। उन पर हाल में यह भी आरोप लगा कि उन्होंने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े लोगों से चंदा लिया था।
700 से अधिक दिन तक भारत में बिना राजदूत के अमेरिकी दूतावास चला। इतने लंबे समय तक राजदूत का पद पहले कभी खाली नहीं था। इसे लेकर कई तरह के सवाल उठे। बाइडन की भारत के प्रति रुख को लेकर भी सवाल उठाया गया। पिछले दिनों ही अमेरिकी सांसद मार्क वार्नर ने इसको लेकर सवाल उठाया और कहा कि यह शर्मनाक है। भारत-अमेरिका संबंध को बेहतर करने की बात की जा रही है और हम एक राजदूत की नियुक्ति नहीं कर सके हैं।
अमेरिका में विवादों में रहने के अलावा एरिक गार्सेटी भारत आने से पहले ही विवादों में हैं। उनको लेकर कई तरह की चर्चा है। इसका कारण भारत आने से पहले ही भारत के मसले पर उनके दिए गए बयान हैं। उन्होंने भारत में प्रस्तावित नागरिकता कानून को लेकर भी बयान दिया था और कहा था कि यह कानून मुस्लिम विरोधी है। उन्होंने अपनी नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान ही कहा था कि अगर वह भारत में राजदूत नियुक्त होते हैं तो CAA और इससे जुड़े मानवाधिकारों के मसले को उठाएंगे।
क्या विवादों से रहेंगे दूर?
एक चैनल के साथ बातचीत में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एरिक गार्सेटी को लेकर हल्के अंदाज में कहा कि आने दीजिए उन्हें प्यार से समझा देंगे। सूत्रों के अनुसार, भारत उनके आने का इंतजार करेगा और ऐसी आशा है कि दोनों देशों के बदलते रिश्तों के बीच वह विवादों से दूर रहेंगे।