नई दिल्ली : सेना में हर साल रिटायर होने वाले 36% -40% अधिकारियों को विकलांगता पेंशन मिलती है। यह पेंशन सामान्य से बहुत अधिक है। सेना में जवानों को सिर्फ 15% -18% जवानों को ही मिलती है। इसके अलावा, 12 लाख की संख्या वाली सेना में अन्य अधिकारियों की तुलना में विकलांगता पेंशन के साथ रिटायर्ड होने वाले मेडिकल ऑफिसर्स (मुख्य रूप से डॉक्टर) का प्रतिशत 44-58% ‘काफी अधिक’ है। सीएजी ने संसद में पेश की गई अपनी इस रिपोर्ट में आंकड़ों के आधार पर सवाल उठाया है।
रक्षा मंत्रालय से पूछा सवाल
सीएजी ने रक्षा मंत्रालय (MoD) और सेना मुख्यालय से अधिकारियों के इतनी अधिक संख्या में, विशेष रूप से मेडिकल अधिकारियों को, रिटायर होने पर ‘विकलांग होने’ के ‘कारणों का पता लगाने’ के लिए कहा है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में आगे कहा है कि 22% और 13% विकलांगता पेंशन अधिकारियों और पीबीओआर (अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों) को दिए गए। इनमें विशेष रूप से लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों (प्राथमिक उच्च रक्तचाप और टाइप -2 मधुमेह) के आधार पर थे।
विकलांगता के कारणों का पता लगाएं
इसमें आगे कहा गया कि मंत्रालय यह सुनिश्चित कर सकता है कि संभावित सुधारात्मक कार्रवाई के लिए रक्षा बलों के बीच लाइफस्टाइल की बीमारियों सहित विकलांगता के मुख्य कारणों का विश्लेषण करने के लिए सभी प्रासंगिक सूचनाओं के साथ पूरा डेटाबेस बनाए रखा जाए। साल 2015-16 से 2019-20 तक के रिकॉर्ड की जांच बाद सीएजी कुल 6,388 रिटायर हुए लोगों में से 2,446 अधिकारियों को विकलांगता पेंशन दी गई। अधिकारी रैंक से नीचे के कर्मियों में कुल 2.98 लाख रिटायर हुए लोगों में से 48,311 को विकलांगता पेंशन दी गई। इसी प्रकार 683 मेडिकल अधिकारियों में से 345 विकलांगता पेंशन के साथ रिटायर हुए।
मामले को हल करने के लिए क्या उपाय किए
CAG ने रक्षा मंत्रालय से जवाब मांगा था कि क्या उसने अधिकारियों और मेडिकल अधिकारियों को विकलांगते पेंशन दिए जाने के अधिक प्रतिशत के संबंध में कोई स्टडी या "मूल कारण विश्लेषण" किया था। साथ ही क्या इस मामले को हल करने के लिए कोई उपाय किए गए थे। इसके जवाब का जनवरी 2023 तक इंतजार किया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि कई सैनिकों को चोट लगती है, अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेवा करते समय जबरदस्त तनाव और तनाव से गुजरना पड़ता है। वे लोग अपने परिवारों से दूर अन्य क्षेत्रों में अन्य तैनाती के बीच लगातार उग्रवाद विरोधी अभियान चलाते हैं।
सेना ने स्वीकार की थी दुरुपयोग की बात
साल 2019 में सेना मुख्यालय ने भी स्वीकार किया था कि विकलांगता पेंशन प्रावधान का कुछ लोगों द्वारा दुरुपयोग किया जा रहा था। यहां तक कि कुछ टॉप ऑफिसर्स भी अधिक पेंशन पाने के लिए अपने रिटायरमेंट से कुछ दिन पहले विकलांगता प्रमाण पत्र हासिल किया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि औसतन, विकलांगता पेंशन 20% से 50% है जो सामान्य से धिक है। कुछ कर्मियों द्वारा सिस्टम के दुरुपयोग को रोकने के लिए उचित विश्लेषण और सुधारात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए। ज्यादातर मामले वास्तविक होते हैं और उन्हें दंडित नहीं किया जाना चाहिए।
7वें वेतन आयोग ने भी उठाया था सवाल
संयोग से 7वें केंद्रीय वेतन आयोग ने विकलांगता पेंशन मामलों में उछाल पर भी सवाल उठाया था। खासकर सीनियर रैंक में। पे कमिशन की सिफारिशें लागू होने के बाद विकलांगता पेंशन में भी बढ़ोतरी हुई है। एक रिटायर्ड अधिकारी ने कहा कि ऑफिसर्स अपने 50 के दशक के मध्य में रियायर्ड होते हैं, जबकि सैनिक अपने 30 के दशक में। नतीजतन, अधिकारियों को हाइपरटेंशन और स्ट्रेस के साथ-साथ सर्विस पीरियड में कठिन पोस्टिंग के कारण गंभीर मेडिकल समस्याओं और लाइफस्टाइल की बीमारियों का खतरा होता है।