बेंगलुरु: दुनिया अभी कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध के असर से नहीं उबर पाई है और ग्लोबल इकॉनमी में मंदी की आशंका लगातार बढ़ रही है। इस निराशा के माहौल में भारतीय अर्थव्यवस्था ग्लोबल इकॉनमी के लिए ब्राइट स्पॉट बनकर उभरी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का कहना है कि भारत की इकॉनमी दुनिया में सबसे तेज रफ्तार से ग्रोथ कर रही है। भारत ने जिस तरह खुद को कोरोना महामारी और यूक्रेन युद्ध के असर से निकाला है, उसकी पूरी दुनिया में तारीफ हो रही है। बेंगलुरु में चल रहे इंडिया एनर्जी वीक में हिस्सा लेने आए यूएई के इंडस्ट्री मिनिस्टर सुल्तान अब जबर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की लीडरशिप में भारत कोरोना से निपटने में सफल रहा है। इसकी वजह यह है कि मोदी अपने लोगों की काबिलियत और ताकत पर भरोसा करते हैं। भारत अभी दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनमी है और जल्दी ही यह तीसरे नंबर पर पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि दुनिया में 80 करोड़ लोग अब भी बिजली से वंचित हैं और इनके घरों में रोशनी करने के लिए भारत की अहम भूमिका होगी।
कैसे बढ़ेगी ग्रीन एनर्जी
यूएई के इंडस्ट्री मिनिस्टर ने कहा कि जब तक ग्रीन एनर्जी का सिस्टम पूरा बनकर तैयार नहीं हो जाता है तब तक हाइड्रोकार्बन एनर्जी की जरूरत बनी रहेगी। लेकिन एमिशन कम करने के लिए धीरे-धीरे इसका इस्तेमाल कम करना होगा। एनर्जी ट्रांजिशन के लिए समाज के हर वर्ग को काम करना होगा। केवल सरकारों के भरोसे काम नहीं चलेगा। सरकारों के साथ-साथ समाज, साइंटिस्ट्स, यूथ, सिविल सोसाइटी और महिलाओं को भी साथ मिलकर काम करना होगा। इस मुहिम में गरीब देशों को ज्यादा मदद देने की जरूरत है।
इस मौके पर पेट्रोलियम एवं नेचुरल गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि तेल की कीमत बढ़ने से ऐसे देशों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा जिनके पास विकल्पों की कमी है। भारत इस स्थिति से निपटने के लिए कई मोर्चों पर काम कर रहा है। एनर्जी मिक्स बढ़ाने के साथ-साथ कई देशों से तेल की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। देश में छह करोड़ लोग रोज पेट्रोल पंप पर जाते हैं और रोजाना 50 लाख बैरल कच्चे तेल की खपत होती है। सरकार कीमतों पर अंकुश लगाने में सफल रही है। दो बार केंद्र सरकार ने एक्साइज ड्यूटी घटाई है। देश में एक्सप्लोरेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही बड़े पैमाने पर ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा दिया जा रहा है।