कुआलालंपुर: मलेशिया को एलसीए तेजस बेचने की भारत की उम्मीद टूट चुकी है। यह डील दक्षिण कोरिया के FA-50 लाइट अटैक एयरक्राफ्ट के हाथ लगी है। अब दक्षिण कोरिया मलेशिया को 18 की संख्या में ट्रेनर लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट बेचेगा। दक्षिण कोरिया के एकमात्र विमान निर्माता कोरिया एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (केएआई) ने 24 फरवरी को मलेशिया के साथ हुई डील का ऐलान किया था। केआई के अनुसार, इस कॉन्ट्रैक्ट का मूल्य 1.2 ट्रिलियन वॉन यानी 920 मिलियन डॉलर है। मलेशिया को FA-50 विमानों की डिलीवरी 2026 से शुरू होगी।
2021 में एचएएल ने भरा था टेंडर
भारत के हिंदुस्तान एयरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) ने 2021 में रॉयल मलेशियाई वायु सेना की जारी की गई एक ग्लोबल टेंडर को भरा था। इसमें मलेशिया ने 18 फाइटर लीड-इन ट्रेनर लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के आपूर्ति की मांग की थी। भारत का एलसीए तेजस और कोरिया का एफए-50 को टेंडर भरने वाले आठ देशों में चुना गया था। इस रेस में जुटे अन्य प्रतिभागियों में चीनी-पाकिस्तानी जेएफ-17, रूसी याक-130 और इटली की एम-346 विमान शामिल थे।
मलेशिया ने LCA तेजस की जगह FA-50 को क्यों चुना?
LCA तेजस और कोरियन एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री का एफए-50 दोनों लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट कैटेगरी के हैं। लाइट अटैक फाइटर जेट तेजी से दुनियाभर में वायु सेना के लिए विमानों की पसंद बनते जा रहे हैं। खासकर, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी देशों में इनकी खूब मांग है। इसका कारण छोटा आकार और इसके हल्के और कॉम्पैक्ट संरचना है। इससे ये लड़ाकू विमान कम रडार सिग्नेचर पैदा करते हैं, जिससे दुश्मनों के रडार बड़ी मुश्किल से पकड़ पाते हैं। छोटा और हल्का होने के कारण ये भारी लड़ाकू विमानों की अपेक्षा सस्ते होते हैं और इनका ऑपरेशनल कॉस्ट भी कम होता है।
एफए-50 में एफ-16 की कई तकनीक
दक्षिण कोरिया की एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री ने एफए-50 को अमेरिकी दिग्गज विमान निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन के साथ मिलकर बनाया है। इस अडवांस ट्रेनर को एफ-16 की डिजाइन और टेक्नोलॉजी से बनाया गया है। एफ-16 को कोरियन कंपनी केएफ-16 के नाम से लाइसेंस के तहत बनाती है। वास्तव में कोरिया का केएआई अपने एफए-50 को एफ-16 के अनुरूप बनाया है, लेकिन इसकी कीमत कम है। एफ-16 चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। इसका इस्तेमाल अमेरिका समर्थित कई देश करते हैं। यह लड़ाकू विमान दुनियाभर में कई युद्धों में भाग ले चुका है।
एलसीए तेजस कितना ताकतवर
एलसीए तेजस अपनी कैटेगरी में सबसे उन्नत लड़ाकू विमान है। इसकी इंट्रीग्रेटेड डिजिटल एवियोनिक्स सिस्टम काफी शक्तिशाली है। इसके निर्माण में इस्तेमाल किया गया कॉम्प्लैक्स कम्पोजिट मटेरियल तेजस को अपनी श्रेणी में सबसे छोटा और सबसे हल्का आधुनिक सुपरसोनिक लड़ाकू विमान बनाती है। तेजस आठ से नौ टन का भार ढोने में पूरी तरह सक्षम है। यह सुखोई जितने हथियार और मिसाइल लेकर उड़ सकता है। मारक क्षमता के अलावा इसकी स्पीड भी काफी अधिक है। एलसीए तेजस 52,000 फीट की ऊंचाई पर ध्वनि की गति मैक 1.6 से 1.8 पर उड़ सकता है।
इस कारण मलेशिया ने दक्षिण कोरियाई विमान को चुना
कोई भी देश हथियारों को सिर्फ उनकी काबिलियत के दम पर नहीं खरीदता है। इसके पीछे कई भूराजनीतिक काऱण भी होते हैं। मलेशिया के दक्षिण कोरियाई लड़ाकू विमान खरीदने के पीछे भी कुछ ऐसा ही कारण है। मलेशिया चाहता है कि दक्षिण कोरिया के जरिए अमेरिका के साथ उसके संबंध बेहतर हो जाएं। अगर मलेशिया सीधे तौर पर अमेरिका से नजदीकी बढ़ाता है तो इससे चीन नाराज हो सकता है। मलेशिया नहीं चाहता है कि चीन उसके प्रति शत्रुता वाला रवैया अपनाए। इसे भी दक्षिण कोरिया से विमान खरीदने के पीछे एक कारण माना जा रहा है।