पॉलिसी की जरूरत
माना जाता है कि अधिक आबादी ह्यूमन रिसोर्स की भी अधिकता का साधन बनती है। इसी मानव संसाधन का इस्तेमाल कर चीन ने पहली बार अपनी ग्लोबल उपस्थिति दर्ज कराई थी। हालांकि, यह भी सही है कि ऐसी सूरत लंबे समय तक बनी नहीं रह सकती है। यूथ इन इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 में कुल आबादी का लगभग 35 फीसदी हिस्सा 15 से 24 साल का था। 2030 तक इसके 31 फीसदी तक चले जाने की उम्मीद है। यानी 2030 तक इनकी हिस्सेदारी कम होने लगेगी और फिर उम्रदराजों की संख्या बढ़ने लगेगी। ऐसे में युवा आबादी के लिहाज से अगले 10 साल भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण होंगे और सरकार को युवाओं से जुड़ी पॉलिसी के जरिए यह सुनिश्चित करना होगा कि देश अपने युवाओं को कैसे हुनरमंद बनाए। साथ ही उनकी प्रतिभा का इस्तेमाल कर देश को विकास के नए पथ पर लेकर जाया जा सके।
स्किल डिवेलपमेंट पर हो फोकस
जाने-माने शिक्षाविद् और युवा शिक्षा की विभिन्न योजनाओं से जुड़े डॉ. एस. के. गर्ग कहते हैं कि भारत इस समय दुनिया का सबसे युवा देश है। इसका अर्थ है कि भारत में युवाओं का अनुपात वृद्धों और बच्चों से अधिक है। जैसे-जैसे समय बीतेगा, आज के युवा प्रौढ़ होंगे और बच्चे युवा। यह अनुपात लगभग 10 वर्ष में बिगड़ जाएगा। ऐसे में यह आवश्यक है कि अपनी युवा शक्ति का समय रहते सदुपयोग करें। सबसे जरूरी है कि हम युवा देश होते हुए स्वावलंबी भी बनें। अभी हमें रक्षा उपकरण, हवाई जहाज से लेकर मोबाइल फोन और कंप्यूटर भी विदेशों से आयात करना पड़ता है।
देश में ही मिले मौका
दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज में सांख्यिकी विभाग के असोसिएट प्रोफेसर डॉ. वझला रवि कहते हैं कि युवा देश होने का ज्यादा फायदा उस स्थिति में मिलेगा, जब हम अपने होनहार युवाओं को अपने देश में ही जॉब्स, स्टार्टअप के ज्यादा मौके देंगे। देखने में आता है कि भारत में IIT, IIM जैसे टॉप संस्थानों से पढ़ने के बाद छात्र विदेशों में जाकर वहां की कंपनियों को आगे बढ़ाते हैं। इसका फायदा विदेशों को मिलता है जबकि यह फायदा भारत को मिलना चाहिए। ऐसे में जरूरी है कि कैंपस प्लेसमेंट पर ज्यादा से ज्यादा जोर हो।