भिंड जिले के मेहगांव थाने क्षेत्र में छह साल पहले जिंदा व्यक्ति को मृतक बताकर फर्जी वसीयत कराए जाने का मामले सामने आया था। यह मामला मेहगांव में जिला सत्र न्यायाधीश अशोक गुप्ता की न्यायालय में चल रहा था। इस मामले में वादी-प्रतिवादी पक्ष की सुनवाई के बाद निर्णय सुनाया गया। न्यायाधीश ने इस मामले में कूटरचित दस्तावेज तैयार कर फर्जी तरीके से वसीयत होना पाया। इस मामले में न्यायाधीश ने तत्कालीन तहसीलदार अशोक गोबड़िया, राजस्व विभाग के रीडर रामशरण यादव सहित 5 लोगों के खिलाफ तीन-तीन साल की सजा व अर्थदंड से दंडित किया गया।
इस प्रकरण की अभियोजन की तरफ से पैरवी अपर लोक अभियोजक देवेश शुक्ला ने की थी। बताया गया है कि वर्ष 2016 में मेहगांव में पदस्थ रहे तत्कालीन तहसीलदार अशोक गोबड़िया व राजस्व विभाग के तत्कालीन रीडर रामशरण यादव समेत मोरोली के रहने वाले रायसिंह कुशवाह,उनकी पत्नी गुड्डी कुशवाह और गंगासिंह के खिलाफ मेहगांव पुलिस थाने में धोखाधड़ी की धाराओं में मुकद्दमा दर्ज हुआ था। रायसिंह ने राजस्व अफसरों के साथ मिलकर षड्यंत्र पूर्वक छोटेलाल के जिंदा रहते हुए फौती दस्तावेज (मृत्यु प्रमाण पत्र ) तैयार कराया। इसके आधार पर अपने भाई के हिस्से की जमीन को हड़पने का षड्यंत्र रचा। आरोपी पक्ष ने इस मामले में साक्षी अपनी पत्नी गुड्डीबाई व समधी गंगासिंह निवासी सोनी काे बनाया था। इस मामले की जानकारी लगते ही फरियादी छोटे सिंह ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में पुलिस ने आरोपी बनाते हुए न्यायालय में पेश किया था। इस मामले की छह साल से सुनवाई जिला सत्र न्यायाधीश अशोक गुप्ता की अदालत में चल रही थी। न्यायाधीश गुप्ता ने इस मामले में सभी पक्षों को सुना और फरियादी पक्ष के साथ षड्यंत्र रचा जाना सिद्ध पाया। इस आधार पर सभी पांचाें आरोपियों केक खिलाफ तीन-तीन साल की सजा समेत तीन-तीन हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया। हालांकि इस मामले में आरोपी बने तहसीलदार और रीडर कुछ साल पहले रिटायर हो चुके हैं।