गोपेश्वर। चारों धाम के कपाट बंद होने के साथ ही शीतकालीन गद्दीस्थलों पर शीतकालीन पूजाएं भी मंगलवार से शुरू हो गई हैं। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद नृसिंह मंदिर जोशीमठ व योग्ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर मंदिर में शीतकालीन पूजा होती है। वहीं केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद ओंकारेश्वर मंदिर में शीतकालीन पूजा होती है।
उधर, गंगोत्री के शीतकालीन स्थल मुखवा व यमुनोत्री के शीतकालीन गद्दीस्थल खरसाली मंदिर में भी पूजाएं हो रही हैं। शीतकालीन पूजाओं में स्थानीय नागरिकों सहित तीर्थयात्री भी शामिल हो रहे हैं। हालांकि इनकी संख्या बेहद सीमित है।
18 नवबंर को बंद किए गए थे बदरीनाथ के कपाट
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 18 नवंबर को विधि विधान के साथ बंद कर दिए। अब बदरीनाथ धाम में छह माह नारायण की पूजा नारद जी करेंगे। वहीं नारायण के सखा उद्धव व कुबेर जी की पूजा पांडुकेश्वर के योगध्यान बदरी मंदिर में व जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में शंकराचार्य की गद्दी नारायण के स्वरूप श्री नृसिंह भगवान की पूजाएं होंगी।
पांडुकेश्वर के योगघ्यान बदरी मंदिर में शीतकालीन पूजाएं पुजारी परमेश्वर प्रसाद डिमरी व रामेश्वर प्रसाद डिमरी की ओर से संपन्न की जा रही हैं। वहीं जोशीमठ नृसिंह मंदिर में हनुमान डिमरी व सुशील डिमरी की ओर से पूजाएं संपंन्न की जा रही हैं। मंगलवार को जोशीमठ नृसिंह मंदिर में शीतकालीन पूजा में स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ औली पहुंचे पर्यटकों भी पूजा में शामिल हुए।
बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर पंवार ने बताया कि मंगलवार से शीतकालीन पूजाएं योग्ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर व श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ में पूजाएं शुरू हो गई हैं। इस दौरान स्थानीय नागरिकों के साथ-साथ औली पहुंचे पर्यटक भी पूजा में शामिल हुए।
शीतकालीन यात्रा को लेकर यात्रियों में नहीं उत्साह
केदारनाथ समेत द्वितीय व तृतीय केदारों के कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन यात्रा शुरू हो गई है, लेकिन नाममात्र की संख्या में ही भक्त बाबा के दर्शन को पहुंच रहे हैं। इसके पीछे शीतकाल यात्रा को लेकर आम भक्तों में जानकारी का अभाव है, सरकार अब तक देश-विदेश के यात्रियों को शीतकालीन यात्रा के बारे में जानकारी उन तक नहीं पहुंच पाई है, यही कारण है कि मात्र कुछ हजार यात्री ही छह महीने में दर्शनों को पहुंच पाते हैं।
जनपद रुद्रप्रयाग में तीन केदार हैं, जिसमें केदारनाथ, द्वितीय केदार मध्यमेश्वर व तृतीय केदार तुंगनाथ। जबकि रुद्रप्रयाग व कल्पेश्वर चमोली जनपद में पड़ते हैं, इसमें भगवान रुद्रप्रयाग के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो चुके हैं व कल्पेश्वर के कपाट पूरे वर्षभर खुले रहते हैं। आगामी 22 नवंबर को मध्यहेश्वर भगवान के कपाट बंद होने हैं। इसके साथ ही सभी चारों केदार के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे।