8 मार्च यानी इंटरनेशनल विमेंस डे। आज के जमाने में तो काफी कुछ बदल गया है। लेकिन महिलाओं की खुद से एक लंबी लड़ाई रही है। परिवार से लेकर समाज से एक लंबा संघर्ष रहा है। हर मोड़ पर जिसने स्ट्रगल किया वो महिलाएं ही रही हैं। आज सब बंदिशे तोड़कर वह जिम्मेदारी भी उठा रही हैं और आगे बढ़ रही हैं। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जहां वह टक्कर न दे सकें। लेकिन आइए उन महिलाओं से आपको मिलवाते हैं जिन्होंने इंडियन फिल्म इंडस्ट्री पहली बार कुछ करके दूसरों के लिए रास्ते खोल दिए। उन्होंने साबित किया कि महिलाएं सब कर सकती हैं। वो कैमरा वर्क हो या फिल्मों का निर्देशन या कुछ भी। देखिए वाओ वेडनेसडे सीरीज में आपको भारत की पहली एक्ट्रेस से लेकर पहली स्टंट वुमन तक की लिस्ट।
1. पहली फिल्म की पहली एक्ट्रेस
‘राजा हरिश्चंद्र’ पहली भारतीय फिल्म मानी जाती है। दादासाहेब फाल्के को अपनी फिल्म बनाते समय वैसे तो कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। मगर सबसे बड़ा काम था किसी ऐसी महिला की तलाश करना जो फिल्म में हीरोइन बने। लेकिन कोई भी महिला फिल्म में काम करने के लिए राजी नहीं हुई। आखिरकार, उन्हें एक्ट्रेस के रोल के लिए मेल एक्टर को ही कास्ट करना पड़ा। इस तरह भारत की पहली हीरोइन भी एक्टर ही थे। इस किस्से से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि महिलाओं के लिए भारतीय सिनेमा में काम करना भी कितना बड़ा चैलेंज रहा। ये कैसे एक नए युग की शुरुआत थी।
2. पहली फीमेल एक्ट्रेस
दुर्गा बाई कामत (Durga Bai Kamat) भारतीय सिनेमा की पहली फीमेल एक्टर रहीं। जी दुर्गा बाई ही पहली एक्ट्रेस रही जिन्होंने उस जमाने में फिल्मों में आकर काम किया और तमाम रुढ़िवादी सोच को तोड़ा। उन्हें दादासाहेब फाल्के की दूसरी फिल्म ‘मोहिनी भस्मासुर’ में काम करने के लिए मनाया था।मोहिनी भस्मापुर के बाद दुर्गा को कोई रोक न सका। वह बैक टू बैक कई फिल्मों में एक्टिंग करती नजर आईं। उनकी आखिरी फिल्म दीपनेस (1980) थी।
3. पहली महिला म्यूजिक डायरेक्टर
जद्दनबाई भारतीय सिनेमा की पहली संगीत निर्देशिका थीं। जी हां, उन्होंने ही इस क्षेत्र में सबसे पहले कदम रखा। वह अपने समय की सबसे महान हस्तियों में से एक थीं। नरगिस दत्त की मां और संजय दत्त की नानी थीं जद्दनबाई ही थीं।
4. पहली स्टंट वुमन
नादिया भारतीय सिनेमा की पहली स्टंट महिला थीं। नादिया का जन्म ऑस्ट्रेलिया में हुआ था। वह 1913 में अपने पिता के साथ मुंबई आ गईं। उस समय पर्दे पर महिलाओं को शर्मनाक माना जाता था और तानों का सामना करना पड़ता था। मगर नादिया को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। उन्होंने उन सब बंधनों को तोड़ा और अपने हिसाब से अपने करियर को चुना। कमाल की बात यह थी कि उन्हें अपने स्टंट खुद करने की आदत हो गई थी। इसलिए उन्हें भारत की पहली स्टंट वुमन भी कहा जाता है।
5. पहली सिनेमैटोग्राफर फोटोग्राफर
वह भारतीय सिनेमा की पहली महिला सिनेमैटोग्राफर डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफर (डीओपी) हैं। वह उस दौर में डीओपी बनीं जब लड़कियां हीरोइन या सिंगर के दायरे से बाहर नहीं आ पाती थीं। लक्ष्मी फिल्म स्कूल गईं और सिनेमैटोग्राफी में दाखिला लिया। 1985 में, वह इंडक्टिव कैमरे का उपयोग करके फिल्मों में कैमरा वर्क करने वाली एशिया की पहली महिला बनीं।
6. फातिमा बेगम
फातिमा बेगम (Fatima Begum) हिंदी सिनेमा की पहली डायरेक्टर थीं जिन्होंने फिल्में डायरेक्ट भी की, लिखी भी और बनाई भी।