रायपुर के दुर्गा कॉलेज में सोमवार को किन्नरों के इतिहास पर वर्कशॉप का आयोजन किया गया। जिससे स्टूडेंट ट्रांसजेंडर समुदाय के बारे में सही बातों को जान-समझ सकें, साथ ही उस वर्ग के लिए संवेदनशील भी बनें।
दुर्गा कॉलेज में मितवा संकल्प समिति और राष्ट्रीय सेवा योजना ने मिलकर ’ट्रांसजेंडर अधिकार संरक्षण एक्ट 2019′ के विषयों को विस्तार से जानने-समझने के लिए एक वर्कशॉप रखा। इस आयोजन में मुख्य वक्ता थर्ड जेंडर कल्याण समिति छत्तीसगढ़ शासन की सदस्य रवीना बरिहा और मितवा संकल्प सेवा समिति की अध्यक्ष विद्या राजपूत रहीं।
कार्यक्रम में रवीना ने बताया कि 3 हजार साल पहले के इतिहास में किन्नरों को बहुत सम्मान की नजर से देखा जाता था। रामायण, महाभारत के साथ ही क्रिश्चियन और बौद्ध समुदायों ने भी हमेशा किन्नरों का सम्मान किया है। साथ ही उनके प्रति हमेशा संवेदनशील रहे हैं। अंग्रेजों के शासनकाल में 1871 अपराधी जनजाति एक्ट आने के बाद से ट्रांसजेंडर की स्थिति खराब हुई। उन्होंने बताया कि हमारी प्राचीन संस्कृत भाषा में 3 जेंडर का उल्लेख है- स्त्रीलिंग, पुल्लिंग और उभयलिंग, जबकि अंग्रेजी में केवल 2 ही जेंडर हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद अब उनकी स्थिति में सुधार हुआ है।
रवीना बरिहा ने कहा कि अब सरकारों द्वारा उनके वर्ग के लोगों को आरक्षण देने के प्रयास किए जा रहे हैं। आज पुलिस विभाग, वेदांता, बालको, शुभम के मार्ट जैसी जगह पर ट्रांसजेंडर्स काम कर अपना जीवन गरिमापूर्ण तरीके से बिता रहे हैं। रवीना दुर्गा कॉलेज की विद्यार्थी रही हैं। उन्होंने कॉलेज के अच्छे दिनों को याद किया। हालांकि उन्होंने कहा कि जब वे स्कूल में पढ़ती थीं, तो उन्हें बहुत अपमान सहना पड़ता था। कोई स्कूल का बच्चा साथ खेलना तक पंसद नहीं करता था।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम के अधिकारी और समाजसेवी सुनीता चंसोरिया ने कहा कि अब ट्रांसजेंडर समुदाय की स्थिति में थोड़ा बदलाव आया है। हमें इस समुदाय की मदद के लिए आगे आना होगा। इसी तरह समय के साथ उनकी स्थिति और बेहतर होगी, साथ ही उन्होंने NSS के विद्यार्थियों से अपील की कि ट्रांसजेंडर समुदाय के साथ अच्छा व्यवहार करें और सरकार की योजनाओं को उन तक पहुंचाने का काम करें।