नई दिल्ली: क्रिश्चियन संस्थानों पर कथित अटैक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा है कि याचिकाकर्ता ने इस मामले में जो डाटा दिया है वह गलत है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान जवाब मांगा है। लेकिन केंद्र सरकार ने इस मामले में राज्यों से रिपोर्ट मांगी है और जो रिपोर्ट मुहैया कराई गई है उससे जाहिर होता है कि याचिकाकर्ता ने अटैक के मामले में गलत डाटा पेश किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान क्रिश्चियन संस्थानों पर कथित अटैक के मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी, मध्यप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ , झारखंड, उड़ीसा और कर्नाटक राज्य के सेक्रेटरी से मामले में रिपोर्ट पेश करने को कहा था। अदालत ने पूछा था कि राज्यों ने इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं यह तीन हफ्ते में बताया जाए। केंद्र सरकार की ओर से पेश स़ॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ता ने क्रिश्चियन संस्थानों पर अटैक का मामला उठाया है और उसने एक डाटा पेश किया है जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है। लेकिन राज्यों की ओर से इस मामले में जो जवाब दाखिल किया गया है और जो डाटा पेश किया गया है उससे साफ है कि याचिकाकर्ता ने गलत डाटा दिया है।
याचिकाकर्ता ने जो गलत डाटा दिया है उस कारण देश के बाहर पब्लिक में यह मैसेज जा रहा है कि भारत में क्रिश्चियन खतरे में है। याची के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने जवाब दाखिल करने के लिए वक्त मांगा जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें तीन हफ्ते में जवाब देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट में अप्रैल में इस बाबत अर्जी दाखिल कर कहा गया था कि क्रिश्चियन कम्युिटी पर हमले हो रहे हैं और उन पर मॉब हिंसा हो रही है ऐसे में उन्हें प्रोटेक्ट किया जाए।
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