गोल्ड ने दिया है बंपर रिटर्न
रिटर्न के नजरिये से देखें..तो सोने ने पिछले 40 वर्षों में 9.6 फीसदी की दर से सालाना रिटर्न दिया है। रिस्क के नजरिये से देखे, तो सोने ने इक्विटीज की तुलना में निश्चित रूप से कम अस्थिरता दिखाई है। सोना पिछले पांच वर्षों में 31 हजार से 60 हजार तक पहुंच गया है। यानी इसने पैसों को दोगुना कर दिया है। बता दें कि सोने और शेयर बाजारों के बीच एक तरह का उलटा संबंध होता है। जब शेयर बाजारों में गिरावट आती है या बहुत अधिक अनिश्चितता होती है, तो सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिलती है।
इस तरह खरीद सकते हैं गोल्ड
गोल्ड को फिजिकल फॉर्मेट के अलावा इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में भी खरीदा जा सकता है। कई ऐप्स हैं जिनके जरिए आप डिजिटल गोल्ड में निवेश कर सकते हैं। इसके बाद कई गोल्ड म्यूचुअल फंड्स आते हैं। आप अपने डीमैट अकाउंट के जरिए गोल्ड ईटीएफ में निवेश कर सकते हैं। सॉवरेन गोल्ड बांड कुछ अवधि के लिए ही उपलब्ध रहता है। भारतीय रिजर्व बैंक हर एक से दो महीने में इश्यू लेकर आता है, जिसमें आप सॉवरेन गोल्ड बांड खरीद सकते हैं। इन इश्यू या buying windows की लिस्ट आपको आरबीआई की वेबसाइट पर मिल जाएगी। यह विंडो पांच दिनों के लिए खुली रहती है।
क्या हैं जोखिम
फिजिकल गोल्ड में क्वालिटी में कमी से लेकर चोरी होने आदि कई तरह के डर रहते हें। वहीं डिजिटल गोल्ड के साथ बड़ा जोखिम नियामकीय स्तर पर कमी है। यहां कोई सेबी नहीं है, कोई आरबीआई नहीं है या कोई भी अन्य रेगूलेटरी बॉडी नहीं है, जो इन कंपनियों के मामलों को देखे। गोल्ड ईटीएफ के लिए यह एक बड़ा प्लस पॉइंट है, क्योंकि यह फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट वास्तविक सोने से समर्थित है। वहीं, एक गोल्ड म्यूचुअल फंड सीधे रूप से ईटीएफ का विस्तार है.. क्योंकि अधिकांश गोल्ड म्यूचुअल फंड्स कई सारे गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं। वहीं सॉवरेन गोल्ड बांड के साथ जोखिम काफी कम है।