मोदी से कोई व्यक्तिगत सहायता नहीं ले सकता
गौतम अडानी ने कहा, ‘मुझे जीवन में तीन बड़े ब्रेक मिले। मुझे पहला ब्रेक 1985 में मिला था। उस समय राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। उस समय नई आयात-निर्यात नीति आई। उस समय हमारी कंपनी एक ग्लोबल ट्रेडिंग हाउस बनी। मुझे दूसरा ब्रेक साल 1991 में मिला। उस समय पी. वी. नरसिम्हा राव और डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार थी। उस दौरान हम पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप कर सके। इससे देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर को नई दिशा मिली। नरेंद्र मोदी जब 12 साल गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उस समय एक अच्छा अनुभव रहा। लेकिन मैं ये बताना चाहता हूं कि मोदीजी से आप कोई व्यक्तिगत सहायता नहीं ले सकते। आप उनसे नीति विषयक बात कर सकते हैं। आप देश के हित में चर्चा कर सकते हैं। जो पॉलिसी बनती है, वह सबके लिये होती है। वो अकेले अडानी ग्रुप के लिये नहीं बनती।’
अडानी ने दिए इन सवालों के जवाब
गौतम अडानी ने इस कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब दिए। उनसे पूछा गया कि उनकी संपत्ति इतनी जल्दी कैसे बढ़ जाती है। क्या उनके पास पैसा बढ़ाने का कोई राज है। इस पर अडानी ने कहा कि उनका एक ही मंत्र है- मेहनत, मेहनत और मेहनत। वे मेहनत पर भरोसा करते हैं। अडानी ने कार्यक्रम में अपने ग्रुप को मिले बैंक कर्ज, इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स, मुंद्रा पोर्ट में हजारों करोड़ के नशीले पदार्थों की बरामदगी के साथ ही कृषि कानूनों के बारे में विस्तार से बातें की। अडानी ने वह किस्सा भी बताया जब मुंबई हमलों के दौरान वे ताज होटल में फंस गए थे। अडानी ने बताया कि कैसे होटल स्टाफ ने उन्हें सुरक्षित जगह पहुंचाया और फिर कमांडोज ने उन्हें बाहर निकाला।