इंटरनेट ने जिंदगी आसान की है, लेकिन भविष्य मुश्किल होता जा रहा है। इसकी लत लोगों को बीमार बना रही है। नए-नए अपराध को बढ़ावा दे रही है। दरअसल इंटरनेट की दुनिया में सोशल मीडिया के जाल में फंसी नई पीढ़ी साइबर क्राइम को सहज मानने लगी है। इंटरनेट पर ट्रोलिंग, बुलीइंग , हेट स्पीच या पॉर्न देखना उन्हें सामान्य लगता है।
साइबर दुनिया में कई बार वे ऐसे अपराध भी कर रहे होते हैं, जिनके बारे में उन्हें खुद भी नहीं पता होता कि यह गैरकानूनी है और इसकी वजह से उन्हें जेल भी हो सकती है। यूरोप के 9 देशों के युवाओं पर हुए अध्ययन से पता चला है कि इन देशों में हालात बहुत खराब हो चुके हैं। हालांकि, ब्रिटेन में साइबर अपराध को सामान्य मानने वाले किशोर और युवाओं की संख्या दूसरे देशों से कम है।
16 से 19 साल के युवाओं पर अध्ययन हुआ
यूरोपियन
यूनियन ने 16 से 19 साल के 8 हजार युवाओं पर अध्ययन किया। इस अध्ययन से
पता चला है कि हर चौथे युवा ने पिछले एक साल में किसी न किसी को ट्रोल जरूर
किया है। हर तीसरा युवा डिजिटल पाइरेसी कर रहा है। सर्वे में सामने आया है
कि हर आठवें युवा शख्स ने किसी न किसी का ऑनलाइन उत्पीड़न जरूर किया है।
आंकड़ों के हिसाब से 10% युवा हैकिंग करते हैं। 20% ऑनलाइन अश्लील चैट में
लगे हुए हैं। 40% युवा तो धड़ल्ले से पॉर्न देखते हैं और इसे वे गलत भी नहीं
मानते।
यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन में क्रिमिनोलॉजी की प्रोफेसर और इस शोध की सह लेखक जूलिया डैविडसन कहती हैं- यूरोप में युवाओं की बड़ी संख्या कोई न कोई साइबर अपराध कर रही है। यह इतना ज्यादा आम हो गया है कि इसके प्रति उनके मन में अपराध बोध भी नहीं बचा है। उन्होंने कहा- 75% लड़के साइबर अपराध कर रहे हैं। ऑनलाइन अपराध के मामले में लड़कियां भी ज्यादा पीछे नहीं हैं। 65% लड़कियां साइबर अपराध करती हैं।
सोशल मीडिया पर ज्यादा वक्त बिता रहे युवा
यूरोप
के ज्यादातर देशों में हैकिंग, मनी मूलिंग और बिना सहमति के अंतरंग
तस्वीरें साझा करना अपराध की श्रेणी में आता है। इसके बावजूद युवा बिना डरे
ये सब कर रहे हैं। अध्ययन में शामिल देशों में स्पेन में सबसे ज्यादा युवा
साइबर अपराध में लिप्त हैं। इसके बाद रोमानिया, नीदरलैंड्स और जर्मनी जैसे
देश आते हैं। युवा सबसे ज्यादा समय यूट्यूब, इंस्टाग्राम, वाट्सऐप, टिकटॉक
और स्नैपचैट पर बिता रहे हैं। यूके में ऑनलाइन सेफ्टी बिल लाया गया पर
कानून नहीं बन सका है।
आधे युवा रोज 4 से 7 घंटे इंटरनेट और स्मार्टफोन में खोए रहते हैं
यूरोप
में 16 से 19 साल के करीब आधे युवा रोज 4 से 7 घंटे तक ऑनलाइन रहते हैं।
जबकि 40% युवा 8 घंटे तक इंटरनेट और स्मार्टफोन की दुनिया में खोए रहते
हैं। युवाओं और उनके पैरेंट्स को इस बारे में जागरूक किए जाने की जरूरत है।
यह भी कि ऐसी गतिविधियों के लिए किस तरह के कानून और सजा के प्रावधान हैं।