मंत्री जी ने अपने पत्रक निजी निवास पर गौशाला बनवा रखी है। यहां 10 गायों का पालन पोषण किया जा रहा है। इनके दूध का निजी उपयोग किया जाता है। देखभाल के लिए सरकारी खर्चे पर संविदा कर्मचारी नियुक्त किया गया था। जांच में पाया गया कि संविदा कर्मचारी मंत्री जी की गाय का दूध पीता है। इसलिए उसकी सेवाएं समाप्त कर दी गई।
दरअसल मंत्री जी, अपने पैतृक निजी निवास पर आने वाले मेहमानों को गौशाला की गाय के दूध की चाय पिलाया करते हैं। यह उनके लिए बड़े शान की बात है। कुछ दिनों पहले दूध की मात्रा कम होने लगी। सरकारी संविदा कर्मचारी को बुलाकर पूछा तो उसने बताया कि गायों ने दूध देना कम कर दिया है। मंत्री जी ठहरे जमीन से जुड़े नेता, गाय-बैल और खेत की अच्छी खासी नॉलेज है।
पकड़ तो तत्काल सकते थे परंतु सरकारी संविदा कर्मचारी है इसलिए उन्होंने युक्ति लगाई। कर्मचारी को छुट्टी पर भेजा और गौशाला में चुपके से सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए। पूरे 7 दिन तक रिकॉर्डिंग हुई है। फिर खुलासा हुआ कि संविदा कर्मचारी मंत्री जी की गायों का दूध पीता है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि यह भी पता चला कि वह एक बछड़े की तरह गाय के थन से दूध पीता है। गाय भी एक दूध पिलाती है। इसलिए कार्यवाही हो गई। न केवल मंत्री जी की ड्यूटी से हटाया गया बल्कि सेवाएं समाप्त कर दी गई।