फिल्म द गांधी मर्डर थिएटर रिलीज में होने वाली थी पर सालों इंतजार के बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म जी 5 पर स्ट्रीम हुई है। फिल्म में कुछ अनछुए पहलू भी हैं, जो अब तक नहीं दिखाए गए थे। इस बारें में नाथूराम गोडसे का किरदार निभाने वाले विकास श्रीवास्तव बताते हैं- ‘फिल्म का आखिरी सीन है जिसमें गांधीजी को मारने से पहले गोडसे ने उनके पैर छुए। एक डायलॉग भी है कि गांधीजी महान हैं, इसमें कोई शक नहीं है लेकिन इतने महान नहीं हैं कि हिंदुत्व को मार सकें।’ फिल्म के पूरे प्रोसेस को लेकर गोडसे का किरदार निभाने वाले विकास ने दैनिक भास्कर से बातचीत की है।
फिल्म द गांधी मर्डर में नाथूराम गोडसे का किरदार निभाने वाले विकास श्रीवास्तव ने बताया – ‘दरअसल इस फिल्म का सिलसिला साल 2018 में शुरू हुआ था। मैं उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले का रहने वाला हूं पर मेरा दोस्त समीर खान दुबई में नौकरी करता है। वह मेरी फिल्में- धूम-3, डर्टी पिक्चर, स्पेशल छब्बीस, गब्बर इज बैक, आदि फिल्में देखता और फोन करके बधाइयां देता था। एक दिन उसका फोन आया कि मेरे बॉस फिल्म बनाना चाहते हैं। मैंने कहा कि मुझे फिल्म बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है। दुबई में कैसे फिल्में बनती हैं, मुझे मालूम है। अपने बॉस को बोल दो, पैसे अपने पास रखें, क्योंकि फिल्म बनाने का कोई फायदा नहीं है। वह कहने लगा- ‘भईया, आप एक बार बात कर लीजिए।’
मैंने कहा कि किससे बात कर लूं! तो उसने बोला- मेरे बॉस से, उनका नाम पंकज सहगल है। खैर, मेरे पास पंकज सहगल का फोन आया। उन्होंने कहा- ‘आप एक बार मुझसे मिलकर कहानी सुन लीजिए।’ मैंने कहा कि कैसे मिलूं। वे बोले- ‘दुबई आ जाइए।’ मैंने सोचा कि दुबई आने-जाने के लिए आखिर मैं क्यों पैसे खर्च करूं। मेरी रेगुलर शूटिंग भी चल रही थी। बिजी था तो कह दिया कि मैं नहीं आ सकता। तब वे बोले- ‘फिर कैसे मुलाकात होगी।’ मैंने कहा कि आप ही आ जाइए। वे बोले- आपके पास टाइम कब है? मैंने कहा कि आज चौथे दिन शूटिंग नहीं कर रहा हूं। आप आ जाइए।
वे चौथे दिन जेडब्ल्यू मैरियट में आ गए। उसके बाद मैं उनसे मिलने चला गया। स्टोरी सुनकर लगा कि यह फिल्म ऑस्कर ले सकती है। गांधी जी की हत्या नाथूराम गोडसे ने की है, यह हम सबको मालूम है लेकिन जैसे पंकज ने आगे बताया- ‘पुलिस डिपार्टमेंट को उस वक्त मालूम था कि गांधी जी को गोडसे मारने वाला है। फिर भी गोडसे को मरने दिया गया, यह कहानी है। मैंने कहा कि यह तो झूठ बात है। आप ऐसे कैसे कह सकते हैं? उन्होंने बताया- ‘एक आडवानी कमीशन बना था, जिसने 17-18 साल में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को साबित किया था कि पुलिस को ये बात पहले से पता थी कि गोडसे गांधी को मारने वाला है।’
गांधी जी की हत्या की बात सबको कैसे पता थी?
उन्होंने कहा- जिस दिन नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी। उसके पांच दिन पहले मदनलाल नाम का एक आदमी अरेस्ट कर लिया गया था, क्योंकि उसने प्रार्थना सभा में गांधी जी पर बम फेंका था। जब मदनलाल को पकड़ा गया और दिल्ली पुलिस ने टार्चर किया तो उसने बताया कि वह हिंदू संगठन से है, वो तो पकड़ लिया गया, पर गांधी को नाथूराम गोडसे मारेगा। यह बात आईजी तक पहुंची।
उन्होंने आगे बताया- आईजी के जरिए ये बात जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल तक पहुंची लेकिन उन्होंने कहा कि गांधी को मरने दो। इस बात का कोई सबूत नहीं है और यह बात फिल्म में नहीं है। पुलिस को रोका गया और पुलिस का भी प्वाइंट ऑफ व्यू यही था कि गांधी को मरने दो। आईजी का प्वाइंट ऑफ व्यू क्या था, इसके लिए फिल्म देखनी पड़ेगी। अब राष्ट्र के लिए राष्ट्रपिता को मरना पड़ेगा, यही फिल्म में दिखाया गया है।
ये फिल्म हिंदी और इंग्लिश में शूट हुई है। अंग्रेजी में शूट हुई फिल्म डेढ़ साल पहले 46 कंट्रीज में रिलीज हो गई लेकिन इंडिया में नहीं हो रही थी। उसके बाद दो साल कोरोना आ गया। यह दिग्गज अभिनेता ओम पुरी की आखिरी फिल्म है। ओम पुरी पुलिस ऑफिसर बने हैं। इसे करीम ट्रेडिया ने डायरेक्ट किया है।
एक्टर ने आगे बताया कि ‘यह फिल्म सबसे पहले बॉलीवुड में बनने वाली थी। पंकज सहगल जब मुझसे मिलने इंडिया आए थे, तब उनसे बातचीत के बाद एक अहम रोल के लिए जिम्मी शेरगिल से भी बात हुई और वे करने के लिए तैयार थे। मुझे मिस्टर सहगल ने नाथूराम गोडसे का रोल बताया। और अगले दिन पंकज सहगल को लेकर पुलिस ऑफिसर के रोल के लिए ओम पुरी के घर गया और उनसे बात होने के बाद सब कुछ तय हो गया। इतना सब कुछ होने के बाद पंकज दुबई चले गए।
कुल मिलाकर हॉलीवुड फिल्म के लिए वहां के स्टार कास्ट हुए। हिंदी फिल्म के लिए रजत कपूर, अनंत महादेवन, राजपाल यादव, गोविंद नामदेव आदि कलाकारों को कास्ट किया गया और उसके बाद श्रीलंका शूट करने गए, क्योंकि हॉलीवुड एक्टर को बहुत कंफर्ट और सिक्योरिटी चाहिए होती है। श्रीलंका में 45 दिनों तक शूटिंग चली और वहां पर 36 कंट्री के स्टार्स शामिल थे। करीब 500 लोगों का कास्ट और क्रू था। इस तरह दो महीने में फिल्म कंप्लीट करके इंडिया आया। सब कुछ होने के बाद इस फिल्म को इंडिया में सेंसर नहीं मिल रहा था।
फिल्म के दौरान कैसा रहा एक्सपीरिएयंस?
अमूमन फिल्म की शूटिंग के लिए कैमरे हायर किए जाते हैं, लेकिन पंकज सहगल इतने बड़े हैं कि श्रीलंका शूटिंग करने पहुंचे, तब उन्होंने 6 कैमरे खरीद लिये। एक कैमरा ही करीब 5 करोड़ रुपए में आता है, जो तीन साल से ऑफिस में पड़े हैं। मेरा अनुमान है कि पूरी फिल्म बनाने में 80 से 100 करोड़ का खर्च आया होगा। फिल्म में जितने ब्रिटिश और अमेरिका एक्टर्स हैं, उतने ही इंडियन एक्टर्स हैं। इंग्लिश और हिंदी की शूटिंग साथ-साथ में चल रही थी। यह फिल्म हिंदी, इंग्लिश के साथ-साथ तमिल, तेलुगुऔर मलयालम भाषाओं में है। खैर पहली बार सेंसर बोर्ड ने फिल्म को पास नहीं किया।
लेकिन कुछ सीन हटाने के बाद दोबारा सबमिट किया गया, तब पास कर दिया गया। थिएटर में यह फिल्म इसलिए नहीं दिखाई गई, क्योंकि ऐसी संवेदनशील फिल्म कोई देखना नहीं चाहता। इसलिए ओटीटी पर स्ट्रीम किया गया। बहरहाल, अपने बारे में बताऊं कि मैं ये फिल्म करने को क्यों तैयार हुआ, क्योंकि मैं थिएटर का एक्टर हूं और इरफान खान जैसा एक्टर बनना चाहता हूं। मैं इंटरनेशनल सिनेमा करना चाहता हूं।