53 वर्षीय सीताराम निगवाल के पास परिवार में बंटवारे के बाद उनके हिस्से में दो एकड़ जमीन आई थी। जिसमें वे सोयाबीन, ज्वार, मक्का, गेहूं और चना की परंपरागत खेती करते थे। कम उत्पादन और अधिक लागत के कारण परिवार का गुजारा भी कठिन था। परंपरागत खेती में अधिक श्रम, खर्च और समय लगता लेकिन अपेक्षित मुनाफा नहीं मिल पाता था। कई सीजन तो फसल की लागत भी नहीं मिल पाती थी। थक हारकर उन्होंने कुछ नया करने की ठानी और सहफसली बहुफसली यानि एक साथ कई सब्जियों की खेती शुरु की। सीताराम निगवाल गांव कनेक्शन को बताते हैं, “जमीन कम थी और खेती जो कर रहे थे उससे परिवार नहीं चल रहा था। 6 साल पहले हमने धार स्थित कृषि विज्ञान केंन्द्र से संपर्क किया। संस्थान के वैज्ञानिकों ने कम जमीन को देखते हुए सब्जियों की मल्टीलेयर फार्मिंग (multilayer farming) की सलाह दी। कुछ सालों तक मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से खेती करने में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन आज इस मॉडल से सब्जियां उगाकर अच्छी कमाई कर रहा हूँ।”




