इस्लामाबाद : एक तो पाकिस्तान पहले ही भारी कंगाली से जूझ रहा है, ऊपर से पड़ोसियों से बैर उसे और महंगी पड़ रही है। अफगानिस्तान के साथ तोरखम गेट के पांच दिनों तक बंद होने से पाकिस्तानी निर्यातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। एक व्यापार समूह ने शुक्रवार को बताया कि फल, सब्जियां, जूस, पोल्ट्री और अंडे जैसी खराब होने वाली चीजों से लदे 7 हजार से अधिक ट्रक पांच दिनों से पाकिस्तान-अफगानिस्तान तोरखम सीमा पर फंसे हुए थे। रविवार को पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल तालिबान की ओर से सीमा बंद किए जाने सहित कई अन्य मुद्दों पर बातचीत करने के लिए काबुल पहुंचा था। इसके बाद तोरखम बॉर्डर पर हालात सामान्य होने लगे।
हर रोज लग रहा था हजारों रुपए का जुर्माना
तालिबान ने गुरुवार को तोरखम गेट खोल दिया लेकिन कई दिनों तक हजारों की संख्या में ट्रकों के फंसने से पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ है। अफगानिस्तान के रास्ते में कंटेनरों के फंसने से पाकिस्तानी निर्यातकों को दैनिक आधार पर हजारों रुपए का लेट फाइन (Demurrage Charges) देना पड़ रहा था। साथ ही खाने-पीने की चीजों के सड़ने की भी चिंता थी। चीनी के प्रत्येक कंटेनर पर हर रोज 45,000 रुपए की लेट फीस लगाई जा रही थी। वहीं ट्रांजिट माल से भरे कंटेनर पर 160 डॉलर प्रति दिन की फीस लगाई जा रही थी।
अफगानों को इलाज के लिए नहीं मिला रास्ता
इसी तरह हर ट्रक पर होल्डिंग चार्ज के तौर पर हर रोज 6 हजार रुपए जुर्माना लगाया जा रहा था। अगर तोरखम गेट कुछ और दिन न खुलता तो पाकिस्तान का नुकसान और बढ़ सकता था। गेट बंद होने से न सिर्फ सरकारी खजाने से करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ बल्कि अफगानों को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा जो इलाज के लिए पाकिस्तान जाते हैं। पाकिस्तान और तालिबान के बीच सीमा विवाद काफी पुराना है जो कई बार हिंसक झड़प का भी रूप ले चुका है।