नई दिल्ली: सचिन तेंदुलकर चरम पर थे। दुनियाभर के गेंदबाज उनके बल्ले की धमक से भी कांप उठते थे। वीरेंद्र सहवाग नई सनसनी थे तो सौरव गांगुली की कप्तानी में भारत नई ऊंचाइयां छू रहा था। जहीर खान अपनी गेंदबाजी से बड़े-बड़े बल्लेबाजों की बोलती बंद कर रहे थे तो हरभजन सिंह की बलखाती गेंदों से हर कोई हैरान होता था। टीम में युवराज सिंह जैसे जुझारू ऑलराउंडर थे और 2003 विश्व कप के लिए भारत एक प्रबल दावेदार था।
चरम पर थे सचिन, गांगुली-सहवाग भी थे बड़े नाम
टीम इंडिया फाइनल तक पहुंची भी, लेकिन उसका यहां सामना हुआ ऑस्ट्रेलिया, जो डिफेंडिंग चैंपियन थी और बड़े-बड़े मैच विनर प्लेयर्स से भरी हुई थी। कप्तान रिकी पोंटिंग थे तो टीम में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट, ग्लेन मैक्ग्रा, ब्रेट ली, ब्रैड हॉग, साइमंड्स और डैरेन लेहमन जैसे धाकड़ खिलाड़ी थे, जो अपने दम पर मैच का रुख पलट देते थे। इस टूर्नामेंट में भारत और ऑस्ट्रेलिया की पहले भी भिड़ंत हो चुकी थी, जिसमें टीम इंडिया को बुरी हार मिली थी।
सिर्फ टॉस ही रहा भारत के पक्ष में
जब 23 मार्च, 2003 को फाइनल में दोनों टीमें पहुंचीं तो उम्मीद थी कि टीम इंडिया पिछली हार का बदला ऑस्ट्रेलिया से लेगा। मैच में भारतीय टीम के कप्तान सौरव गांगुली ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग चुनी और यही वो शुरुआती और आखिरी फैसला था जो टीम इंडिया के मनमाफिक था। जोहानिसबर्ग में एडम गिलक्रिस्ट और मैथ्यू हेडन ने आक्रामक शुरुआत करते हुए 14 ओवरों में 105 रन ठोके तो गिलक्रिस्ट 47 और हेडन 37 रन पर आउट हुए।
रिकी पोंटिंग के बल्ले से निकला था बड़ा शतक
यह खुशी कुछ ही देर बाद काफूर हो गई, क्योंकि ऑस्ट्रेलिया कप्तान रिकी पोंटिंग और डेमियन मार्टिन ने विध्वंसक बैटिंग शुरू कर दी थी। देखते ही देखते स्कोर 150, 200, 250, 300, 350 और जब 50 ओवर पूरे हुए तो स्कोर 359 रनों तक जा पहुंचा। पोंटिंग 121 गेंदों में 4 चौके और 8 छक्के के दम पर नाबाद 140 रन ठोके तो मार्टिन 84 गेंदों में 88 रन बनाकर नाबाद रहे। पोंटिंग की खूंखार बैटिंग का आलम यह था कि भारत के घर-घर तक अफवाह थी कि उनके बल्ले में एक खास तरह की स्प्रिंग लगी थी, जिससे गेंद लगते ही बाउंड्री पार जा रही थी। दो विकेट भज्जी को मिले थे, जबकि जहीर खान को 67, जवागल श्रीनाथ को 87, आशीष नेहरा को 57 रन पड़े थे।
यूं ढेर हुए थे सूरमा, 125 रनों से हारा भारत
जवाब में बैटिंग करने उतरी भारतीय टीम को पहले ही ओवर में सचिन तेंदुलकर (4) के रूप में पहला झटका लगा तो सौरव गांगुली (24) और मोहम्मद कैफ (0) 59 रनों के स्कोर पर पवेलियन लौट गए। इसके बाद राहुल द्रविड़ (47) और वीरेंद्र सहवाग (81) के बीच एक अच्छी साझेदारी जरूर हुई, लेकिन मुल्तान के सुल्तान के रन दुर्भाग्यपूर्ण आउट के बाद मैच पलट गया। बल्लेबाज आते गए और आउट होकर लौटते गए। टीम 234 पर ढेर हो गई, जबकि 125 रनों से हार मिली।
आज भी ताजा है वह दर्द
ग्लेन मैक्ग्रा ने 3, जबकि ब्रेट ली और साइमंड्स ने 2-2 विकेट झटके। करोड़ों भारतीयों का दिल चकनाचूर हो चुका था और टीम इंडिया को रनरअप बनकर संतोष करना पड़ा था। आज इस मैच की भले ही 20वीं सालगिरह है, लेकिन दर्द एकदम ताजा है।