नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने गुरुवार को चार राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति की है। आने वाले विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिहाज से बीजेपी का ये दाव बेहद दिलचस्प होने वाला है। खासतौर पर बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लव-कुश (कुशवाहा-कुर्मी) समीकरण के बीच बीजेपी का ये कदम कारगर साबित हो सकता है। बीजेपी ने बिहार में कुशवाहा समाज के नेता सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। इसके अलावा राजस्थान में पार्टी ने ब्राह्मण चेहरे सीपी जोशी को अध्यक्ष बनाया है, जहां इस साल चुनाव होना है। वहीं बीजेपी ने ओडिशा में मनमोहन सामल और दिल्ली में वीरेंद्र सचदेवा को अध्यक्ष नियुक्त किया है।
बता दें कि 54 साल के सम्राट चौधरी बिहार विधान परिषद में विपक्ष के नेता हैं। वो कुशवाहा समाज के कद्दावर नेता शकुनि चौधरी के बेटे हैं। एक वक्त चौधरी नीतीश के सहयोगी के तौर पर रहे थे। उन्होंने नीतीश को गैर-यादव ओबीसी कुशवाहा समाज में एक बड़ा ब्लॉक बनाने में मदद की। लेकिन फिर वो नीतीश से अलग हो गए और अक्सर उनकी आलोचना करते रहते हैं। सम्राट को राजनीति विरासत में मिली है। उम्मीद की जा रही है कि पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी मिलने के बाद वो सीएम नीतीश के खिलाफ आक्रमक रूप से सामने आएंगे।
सम्राट चौधरी की नियुक्ति नीतीश खेमे से उसी जाति के एक महत्वपूर्ण नेता उपेंद्र कुशवाहा के दलबदल के मद्देनजर हुई है। इसका उद्देश्य कुशवाहा समाज के बीच संख्यात्मक रूप से कमजोर कुर्मी जाति के लिए दूसरी भूमिका निभाने को लेकर पहले से मौजूद नाराजगी को भड़काना और इस मुद्दे को भुनाना है। बीजेपी के इस कदम से नीतीश कुमार की जदयू को नुकसान हो सकता है।
अगर राजस्थान की बात करें, तो वहां बीजेपी ने चुनाव को देखते हुए संगठन में बदलाव किया है। बीजेपी ने सीपी जोशी को सतीश पुनिया की जगह प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। ऐसा माना जा रहा है कि जोशी की नियुक्ति पुनिया और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के झगड़े के बीच की गई है। वसुंधरा राजे पुनिया से नाखुश थीं क्योंकि उन्होंने पार्टी में सबसे ज्यादा पहचाने वाले चेहरे के रूप में उनका विरोध किया था। राजे को पुनिया के हटने से फायदा हो सकता है। लेकिन ये देखने वाली बात होगी कि पार्टी के इस कदम के बाद वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में उतारा जाएगा या नहीं।
दिल्ली में बीजेपी ने वीरेंद्र सचदेवा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। ये पार्टी की पंजाबियों के बीच मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश है। पिछले दो प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी और आदेश गुप्ता बिहार और यूपी से हैं। ऐसे में दिल्ली में इन राज्यों के प्रवासियों को प्रतिनिधित्व देने के लिए पार्टी ने इन्हें चुना था। क्योंकि बिहार और यूपी के लोग दिल्ली की आबादी में बड़ा हिस्सा हैं। बीजेपी सूत्रों ने कहा कि गुप्ता को हटाए जाने के बाद पार्टी के दिल्ली कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में अपने छोटे से कार्यकाल में सचदेवा प्रभावशाली रहे हैं। इसके अलावा सचदेवा की संगठन और आरएसएस में भी अच्छी पकड़ है। ऐसे में वो दिल्ली में सामंजस्य बिठाने में सफल हो सकते हैं।