नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को संसद भवन की नई इमारत का निरीक्षण करने पहुंचे थे। इस दौरान पीएम मोदी के नई संसद में भवन के भीतर की बेहद ही शानदार तस्वीरें सामने आईं। इन्हीं तस्वीरों में एक तस्वीर सदन के वेल की भी थी। नई सदन के वेल में पुराने सदन के मुकाबले बेहद कम जगह दिख रही है। ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि अब वेल में हंगामा और प्रदर्शन कैसे होगा। क्या सदन में तख्तियां लेकर वेल में पहुंचने की प्रथा खत्म हो जाएगी। जगह कम होने की सूरत में विपक्षी दल सरकार का विरोध वेल में जाकर कैसे कर पाएंगे।
पुरानी संसद से तीन गुना आकार
मौजूदा संसद भवन का निर्माण साल 1921 से 1927 के बीच हुआ था। नया निर्माणाधीन संसद भवन का एरिया 64,500 वर्ग मीटर है। यह मौजूदा संसद भवन इमारत से 17,000 वर्ग मीटर ज्यादा है। नई निर्माणाधीन संसद का आकार मौजूदा सदन से लगभग तीन गुना होगा। नई लोकसभा में 888 सदस्यों के बैठने के लिए सीट होंगी। वहीं राज्यसभा में 384 सांसदों के बैठने की जगह होगी। सदन के संयुक्त सेशन के दौरान 1272 सदस्य एक साथ बैठ सकेंगे।
बैठने की नई व्यवस्था
संसद के नए भवन में संसद सदस्यों के लिए बैठने की व्यवस्था मौजूदा सिस्टम से अलग होगी। नए भवन में बैठने की व्यवस्था पहले की तुलना में अधिक खुली और आरामदेह होगी। नए भवन में एक टेबल पर दो सासंद बैठ सकेंगे। इसके अलावा सभी मंत्रियों के एक ही जगह पर बैठने की व्यवस्था की गई है। ऐसे में उनके बीच संपर्क या आने जाने में लगने वाले समय की भी बचत होगी। संसद की नई इमारत को अगस्त 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है।