इजरायल में हमास आतंकियों के हमले के बाद से भारत में धार्मिक आधार पर प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। AMU के स्टूडेंट्स ने फिलीस्तीन और हमास के समर्थन में रैली निकाली। बीजेपी खुलकर इजरायल का सपोर्ट कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इजरायल में हुए आतंकी हमलों पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि इस मुश्किल घड़ी में भारत इजरायल के साथ है। मुस्लिम नेता और समुदाय के लोग फिलिस्तीन के समर्थन में लिख रहे हैं। फिलिस्तीन समर्थक हैकरों ने भारतीय वेबसाइटों पर साइबर अटैक किए हैं। उनका कहना है कि भारत इजरायल का सपोर्ट कर रहा है। यह भी समझना होगा कि शांति के पक्षधर भारत ने आतंकी हमलों की निंदा की है, किसी का पक्ष नहीं लिया है। कांग्रेस की CWC बैठक में फिलिस्तीन के लोगों के जमीन, स्वशासन और गरिमा के साथ जीवन के अधिकारों को लेकर समर्थन दोहराया गया। ऐसे में यह समझना जरूरी हो जाता है कि फिलिस्तीन से भारत का रिश्ता कैसा है? आज के संदर्भ में लोग अटल बिहारी वाजपेयी के पुराने वीडियो को देखकर कन्फ्यूज क्यों हो जा रहे हैं। क्या लोग फिलिस्तीन और हमास के ऐक्शन को जोड़कर देख रहे हैं?
भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि फिलिस्तीन के लोगों के साथ मित्रता समय की कसौटी पर खरी उतरी है। 1947 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन के विभाजन के खिलाफ मतदान किया था। खास बात यह है कि भारत पहला गैर-अरब देश था जिसने 1974 में फिलिस्तीन की जनता के एकमात्र और कानूनी प्रतिनिधि के रूप में पीएलओ को मान्यता दी थी। यासर अराफात कई बार भारत आए। उनके इंदिरा गांधी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक से अच्छे संबंध रहे। 1988 में भारत फिलिस्तीन को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था।
1966 में भारत ने गाजा में फिलिस्तीन प्राधिकरण में अपना प्रतिनिधि कार्यालय खोला, जिसे 2003 में रामल्लाह में शिफ्ट कर दिया गया। भारत ने इजरायल के विभाजन की दीवार बनाने के खिलाफ अक्टूबर 2003 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प के समर्थन में मतदान किया था। भारत ने फिलिस्तीन को यूनेस्को के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में स्वीकार करने के पक्ष में मतदान किया।।सितंबर 2015 में सदस्य देशों के ध्वज की तरह दूसरे प्रेक्षक देशों के साथ संयुक्त राष्ट्र परिसर में फिलिस्तीन के झंडे को लगाने का समर्थन किया।
फिलिस्तीन के राष्ट्रपति यासर अराफात कई बार भारत आए थे। यह तस्वीर 10 अप्रैल 1999 की है। तब फिलिस्तीनी नेता पीएम वाजपेयी के घर पर उनसे मिले थे। राष्ट्रपति महमूद अब्बास भी कई बार भारत आए। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अक्टूबर 2015, विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने जनवरी 2012 में, गृह मंत्री एल के आडवाणी और विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने 2000 में फिलिस्तीन का दौरा किया। इस तरह से देखें तो भाजपा और कांग्रेस दोनों सरकारों में फिलिस्तीन से संबंध मजबूत बने रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2015 में न्यूयॉर्क में राष्ट्रपति महमूद अब्बास से मुलाकात की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने 10 फरवरी 2018 को पहली बार फिलिस्तीन की ऐतिहासिक यात्रा की।।जनवरी 2016 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और नवंबर 2016 में विदेश राज्य मंत्री M.J. अकबर फिलिस्तीन गए थे। राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने मई 2017 में तीसरी राजकीय यात्रा पर भारत की यात्रा की थी। राजनीतिक समर्थन के अलावा भारत फिलिस्तीन के लोगों को भौतिक और तकनीकी सहायता देता है। कम लोगों को पता होगा कि गाजा शहर में अल अजहर यूनिवर्सिटी में जवाहरलाल नेहरू पुस्तकालय और गाजा पट्टी में फिलिस्तीन तकनीकी कॉलेज में महात्मा गांधी पुस्तकालय-सह-छात्र क्रियाकलाप केंद्र स्थापित किया गया। भारत के फंड से वेस्ट बैंक में 2015 में दो स्कूल भी बनाए गए थे। वित्तीय मदद, परियोजनाएं, फिलिस्तीनी नागरिकों के लिए स्कॉलरशिप भी दी गई है।
वास्तव में भारत हर तरह के आतंकी वारदात के खिलाफ रहा है। ऐसे में इजरायल में घुसकर निर्दोष महिलाओं और बच्चों की हत्या करने के हमास के कृत्य को सही नहीं ठहराया जा सकता। मसला कोई भी हो, भारत का रुख स्पष्ट है कि बातचीत से ही समाधान निकाला जाना चाहिए। दरअसल, फिलिस्तीन दो हिस्सों में बंटा हुआ है। पहला हिस्सा गाजा पट्टी है जो भूमध्य सागर के किनारे है। दूसरा हिस्सा जॉर्डन से सटा है जिसे वेस्ट बैंक कहते हैं। गाजा पर हमास आतंकियों का कब्जा है और वेस्ट बैंक में सरकार काम करती है जिसका भारत समर्थन करता है। ऐसे में लोगों को ध्यान रखना चाहिए कि इजरायल-फिलिस्तीन विवाद अपनी जगह है लेकिन उसके नाम पर निर्दोष बच्चों, महिलाओं पर कत्लेआम को सही नहीं ठहराया जा सकता है। फिलिस्तीन को सपोर्ट भारत की विदेश नीति का हिस्सा है।
उधर, 1992 में नरसिम्हा राव की सरकार ने इजरायल के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। इसके बाद भारत के इजरायल फिर अमेरिका से संबंध मजबूत होते गए। भारत-इजरायल के सैन्य और आर्थिक संबंध तेजी से बढ़े हैं। इजरायल भारत को सैन्य उपकरणों की सप्लाई करने लगा। इस तरह से एक लाइन में समझें तो इजरायल से दोस्ती भारत की जरूरत है जबकि फिलिस्तीन से रिश्ते भारत की विदेश नीति का हिस्सा है। इजरायल और भारत में काफी समानताएं इसलिए भी देखी गईं क्योंकि दोनों देश सीमा पार आतंक का सामना कर रहे हैं। करगिल युद्ध के समय इजरायल ने भारत की मदद की थी। भारत हमास के हमले के विरोध में है लेकिन उसने फिलिस्तीन पर अपने रुख में बदलाव नहीं किया है।