17 महीने बाद रिहा हुए हैं अब्दुल्ला आजम,
हरदोई जिला कारागार में थे बंद…समर्थकों की उमड़ी भीड़
हरदोई जेल से अब्दुल्ला आजम 16 महीने बाद रिहा हुए। सुबह 8 बजे से जेल के बाहर सैकड़ों समर्थक और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता जुटने लगे थे। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल को बुलाना पड़ा। सपा सांसद रुचि वीरा भी पहुंचीं थीं, लेकिन गेस्ट हाउस में ही बैठी रहीं।
सुबह 11:40 बजे जैसे अब्दुल्ला जेल से निकले समर्थकों ने उन्हें घेर लिया। जमकर नारे लगाए। भीड़ इतनी अधिक थी कि अब्दुल्ला को गाड़ी तक पहुंचाने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
अब्दुल्ला सफेद कुर्ता पैजामा और काली सदरी पहने हुए थे। बाल बढ़े थे, चोटी बांध रखी थी। उन्होंने मीडियाकर्मियों के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। अपनी निजी गाड़ी में खिड़की पर खड़े होकर समर्थकों अभिवादन किया। इसके बाद गाड़ी में बैठकर 25 गाड़ियों के काफिले के साथ रामपुर के लिए रवाना हो गए।
अब्दुल्ला आजम सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद आजम खान के बेटे हैं। दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में पिछले 16 महीने से हरदोई जेल में बंद थे। 18 अक्टूबर 2023 को अदालत ने उन्हें 7 साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उन्हे हरदोई जेल भेज दिया गया था। अब उन्हें सभी मामलों में जमानत मिल चुकी है।
बता दें कि पिछले दिनों ही रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व सपा विधायक अब्दुल्ला आजम को जमानत दी थी। जेल प्रशासन को रिहाई के दस्तावेज पहले ही मिल चुके थे।
*शाम को ही हरदोई पहंच गए थे समर्थक*
अब्दुल्ला आजम को लेने के लिए आजम खां के खास यूसुफ मलिक सहित तमाम समर्थक सोमवार शाम को ही हरदोई पहुंच गए थे। सुबह सपा सांसद रुचि वीरा भी पहुंचीं, लेकिन वह पीडब्लूडी गेस्ट हाउस में बैठी रहीं।
अब्दुल्ला आजम की रिहाई की प्रक्रिया पूरी करने के बाद जैसे ही उनका नंबर आया जेल गेट से उनको बाहर निकाला गया। अपनी निजी गाड़ी में बैठे और फिर खिड़की पर खड़े होकर उन्होंने समर्थकों अभिवादन किया। इसके बाद गाड़ी में बैठकर रामपुर के लिए रवाना हो गए।
*17 फरवरी को पूरी हुई थी बहस*
अब्दुल्ला की जमानत याचिका पर 17 फरवरी को कोर्ट में बहस पूरी हो चुकी थी। शत्रु संपत्ति के रिकॉर्ड में हेराफेरी के एक मामले में 2019 में मुकदमा दर्ज किया गया था। दरअसल, कस्टोडियन संपत्ति के दुरुपयोग के आरोप में आजम खान और अब्दुल्ला आजम को पुलिस ने क्लीन चिट दी थी। इसके बाद मामला शासन तक पहुंचा। शासन ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अशोक शुक्ला के खिलाफ जांच के आदेश दिए। साथ ही मामले में दोबारा जांच के निर्देश दिए थे।
*आरोपियों ने मिलकर अपराध को दिया अंजाम*
दरअसल, रिकार्ड रूम के सहायक अभिलेखपाल मोहम्मद फरीद की ओर से रामपुर के सिविल लाइंस थाने में 9 मई, 2020 को लखनऊ के पीरपुर हाउस निवासी सैयद आफाक अहमद और अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसमें शत्रु संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने का आरोप लगाया गया था।
आजम पक्ष के अधिवक्ता जुबैर अहमद खान के अनुसार, अभियोजन पक्ष का आरोप है कि अब्दुल्ला आजम और अन्य आरोपियों ने मिलकर अपराध को अंजाम दिया। अब्दुल्ला आजम के खिलाफ जो मामले थे, उनमें सभी में बेल हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने भी बेल दे दी थी। यह आखिरी मुकदमा था, जो 2020 का है। आज कोर्ट ने जमानत का आदेश कर दिया है, अब रिहाई क्लियर है।
*अब्दुल्ला आजम को झूठा फंसाया*
शत्रु संपत्ति मामले में अब्दुल्ला आजम की जमानत अर्जी पर 17 फरवरी को सुनवाई हुई थी। कोर्ट में अब्दुल्ला आजम के अधिवक्ता ने तर्क दिया था कि पत्रावली पर उनके वादी के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं हैं। पुलिस ने सह-अभियुक्त के बयान पर झूठा फंसाया।
अभियोजन की ओर से सहायक अभियोजन अधिकारी स्वदेश शर्मा ने दलील दी कि अब्दुल्ला आजम ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर अपराध को अंजाम दिया। इसके सबूत पत्रावली पर मौजूद हैं। लिहाजा, जमानत निरस्त की जाए। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। इसी पर आज कोर्ट ने जमानत दी।
*रामपुर नगर पालिका की मशीन चोरी मामले में सुप्रीम कोर्ट से मिल चुकी है जमानत*
सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम और रामपुर के पूर्व पालिका चेयरमैन अजहर अहमद खान को रामपुर नगर पालिका की स्वीपिंग मशीन चोरी मामले में 10 फरवरी को जमानत दी थी। मामला रामपुर नगर पालिका की ऑटोमैटिक स्वीपिंग मशीन से जुड़ा है। जिसे कथित तौर पर जौहर यूनिवर्सिटी में स्थानांतरित कर दिया गया था।
इस मामले में आजम खान, अब्दुल्ला और पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष अजहर अहमद खान समेत कुल 7 लोग आरोपी थे। भाजपा सरकार आने के बाद पूर्व सपा कार्यकर्ता और वर्तमान भाजपा नेता बाकर अली खान ने रामपुर के सदर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अब्दुल्ला की ओर से पैरवी की थी।
*उपचुनाव से पहले आजम के घर पहुंचे थे अखिलेश*
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने 11 नवंबर को पहले मुरादाबाद में जनसभा की, फिर रामपुर में आजम खान के घर पहुंचे थे। यहां उन्होंने आजम की पत्नी तंजीम फातिमा, उनके बड़े बेटे और परिवार के दूसरे सदस्यों से मुलाकात की थी।
आजम के घर से निकलने के बाद अखिलेश यादव ने कहा था- जब तक भाजपा नहीं हटती, सपा संविधान बचाने की लड़ाई लड़ती रहेगी। जो आजम खान और उनके परिवार के साथ अन्याय हुआ है, हमें उम्मीद है कोर्ट उनके साथ न्याय करेगा। सरकार आने पर जो झूठे केस लगे हैं, उनको खत्म किया जाएगा।





