जेम्स कैमरून मौजूदा वक्त में दुनिया के सबसे बेहतरीन निर्देशक हैं और ऐसा क्यों है, इसकी गवाही उनकी फिल्म अवतारः द वे ऑफ वाटर देती है। कैमरून ने अपनी पिछली फिल्मों की तरह इस बार भी बेहतरीन विजुअल क्रिएट किए हैं। पैंडेमिक के बाद से फिल्ममेकर्स अक्सर अपनी कहानियों में फैमिली और फैमिली वैल्यूज को दिखा रहे हैं। कैमरून ने भी फिल्म में टेक्नोलॉजी का खूबसूरत इस्तेमाल कर परिवार और इस संसार के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का एहसास पूरी गंभीरता से करवाया है।
क्या है फिल्म की कहानी?
फिल्म की कहानी अवतार के पिछले पार्ट से आगे बढ़ती है। धरती के इंसान और वैज्ञानिकों की बुरी नजर पेंडोरा पर है, जहां नावी रहते हैं। इस बार हालांकि धरती के इंसान और वैज्ञानिकों को पेंडोरा के कीमती खनिज अनऔबटैनियम की ही तलाश नहीं है, बल्कि उन्हें वहां के समंदरों में रहने वाली व्हेल मछलियों के दिमागी एंजाइम की भी तलाश है, जिससे उम्र को भी मात दी जा सकती है। इस मिशन के लिए फिर से स्टीफन लैंग का किरदार यानी कर्नल माइल्स को तैयार किया जाता है, जो पहले पार्ट में मर चुका था। इस बार उसके DNA और उसकी यादों के सहारे धरती के वैज्ञानिक उसका अवतार तैयार कर लेते हैं और वह पेंडोरा पहुंचते हैं। वहां उनका मकसद पेंडोरा पर कब्जा तो करना है ही, साथ ही जैक सली की हत्या भी उनका मोटिव है।
पेंडोरा में उनके पहुंचने से पहले जैक सली और नेयतिरी का हंसता-खेलता परिवार है। उनके दो अपने बच्चे हैं और एक गोद ली हुई बच्ची किरी है। उनका एक दोस्त भी है जो कर्नल माइल्स का बेटा है। जैक को खतरे का आभास होता है। इस बार दुश्मन और भी ज्यादा ताकतवर है, इसलिए जैक सली उसका मुकाबला करने के बजाय वहां से बहुत दूर जल में विचरण करने वाले और रहने वाली प्रजातियों के पास पहुंचता है। वहां उन प्रजातियों से जैक सली को मदद मिलती है या नहीं और क्या कर्नल माइल्स वहां भी उन्हें ढूंढ कर खत्म कर पाता है या नहीं, अवतार 2 की कहानी इसी के इर्द-गिर्द बुनी गई है।
डायरेक्टर जेम्स कैमरून ने जैक सली सही है या नहीं या फिर उसके पास क्या विकल्प बचते हैं? क्या उसका परिवार नए माहौल के साथ एडजस्ट कर पाता है या नहीं और यह कितना जरूरी है, इस पर भी फोकस किया है।
कैसा है फिल्म का डायरेक्शन?
जेम्स कैमरून ऐसे डायरेक्टर हैं जिन पर कभी कोई डाउट शायद ही करें। जेम्स ने यहां सिंपल और प्रिडिक्टेबल स्टोरी को खूबसूरत मोड़, लेयर्स, ट्विस्ट, सरप्राइज और शॉक से नवाजा है। 192 मिनट की लंबी फिल्म भी दर्शकों को छोटी महसूस होती है। उनकी भूख बरकरार रहती है। जो अगला, तीसरा पार्ट जेम्स कैमरून लाने वाले हैं, उसमें जैक सली का सामना आग से होना है, उसको लेकर भी उत्सुकता बहुत ऊंचे स्तर की बन जाती है।
कैसी है फिल्म की नई कास्टिंग?
जेम्स कैमरून ने नए किरदार इंट्रोड्यूस किए हैं। जो जैक सली के बच्चे और केट विंसलेट की भूमिकाएं हैं।
एक अहम किरदार व्हेल मछली का भी है जिसका नाम पायकन है। इस फिल्म में काफी इन्हेरेंट मैसेजेस भी हैं, जो विस्तारवादी सोच रखने वाले लोग, देश, हुक्मरान को आईना दिखाते हैं। फिल्म अपनी टैगलाइन द वे ऑफ वाटर को जस्टीफाई करती है, वह मूल रूप से ‘द वे टू लीड लाइफ’ जाहिर करती है। ज्यादातर मां-बाप अपने टीनएज बच्चों पर बड़ा भरोसा नहीं कर पाते, जबकि कई बार बच्चे जिनके हकदार होते हैं। यहां डायरेक्टर जेम्स कैमरून ने बच्चों से भी बड़े काम करवाएं हैं। खासकर कठिन परिस्थितियों में सटीक फैसले लेने की उन बच्चों की खूबियों को बखूबी दिखाया है। ये सारे घटनाक्रम डायरेक्टर ने आला दर्जे के VFX की मदद से दिखाए हैं, जो अद्भुत और कल्पना से परे हैं।
नई दुनिया और टेक्नीक दिखाती है फिल्म
यह फिल्म टेक्निकली मील का पत्थर है। धरती से कई सौ प्रकाश वर्ष दूर पेंडोरा की दुनिया भी स्क्रीन पर हमें बेहद कुदरती महसूस होती है। मशहूर डायविंग इंस्ट्रक्टर किर्क क्रैर्क ने एक्टर्स को अंडरवाटर डाइव करने की ट्रेनिंग दी है। ऐसा नहीं लगता कि कुछ भी बनावटी है। सायमन फ्रैंगलेन का संगीत रूहानी सुकून देता है और कुदरत के आक्रामक स्वरूप से भी वाकिफ करवाता है।
कैसी है एक्टिंग?
फिल्म के सभी कलाकारों सैम वर्थिंग्टन, जोए साल्डाना, स्टीफन लांग, केट विंसलेट और खासकर बाल कलाकारों ने चमत्कारिक काम किया है। फिल्म की लेंथ और उसका देरी से असल मुद्दे पर आना ही बस एक कमी है, वर्ना ये फिल्म हर तरह की खूबियों से लैस है। खासकर जोए साल्डाना ने एक बार फिर से अपने किरदार को जिया है। जेम्स की खूबी भी यही है कि वह अपने महिला किरदारों को ज्यादा सशक्त बनाते हैं।