नई दिल्ली: अमेरिकी की दिग्गज ऑटो कंपनी फोर्ड मोटर्स (Ford Motors) भारत में अपना कारोबार समेट चुकी है। कंपनी ने भारत में अपना प्लांट टाटा मोटर्स (Tata Motors) को बेच दिया है। टाटा मोटर्स की सहयोगी कंपनी टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड (Tata Passenger Electric Mobility Limited) का कहना है कि गुजरात के साणंद में स्थित फोर्ड मोटर्स के प्लांट के ट्रांसफर की डील 10 जनवरी, 2023 तक पूरी हो जाएगी। दोनों कंपनियों के बीच इसके लिए पिछले साल अगस्त में 725.7 करोड़ रुपये की डील हुई थी। इस प्लांट की सालाना क्षमता तीन लाख यूनिट है जिसे 420,000 यूनिट तक बढ़ाया जा सकता है। डील के मुताबिक फोर्ड इंडिया के सभी कर्मचारियों को पुरानी शर्तों पर टाटा मोटर्स में नौकरी का ऑफर दिया गया है।
फोर्ड ने मारा था ताना
फोर्ड मोटर्स के चेयरमैन बिल फोर्ड ने साल 1999 में रतन टाटा को औकात दिखाने की कोशिश की। यह वह दौर था जब टाटा की इंडिका फेल हो रही थी। रतन टाटा ने इसे फोर्ड को बेचने की कोशिश की थी। तब बिल फोर्ड ने अमेरिका में रतन टाटा से कहा कि जब पैसेंजर कार बनाने का कोई अनुभव नहीं था तो फिर इसमें क्यों उतरे। हम आपका कार बिजनस खरीद कर आप पर अहसान ही करेंगे।इस बात से रतन टाटा बुरी तरह हिल गए थे। उसी रात उन्होंने कार बिजनस बेचने का फैसला टाल दिया था। इसके बाद उन्होंने टाटा मोटर्स को बुलंदियों पर पहुंचाया। टाटा मोटर्स के पास कई बेस्ट सेलिंग कारें थीं जबकि फोर्ड को काफी घाटा हो रहा था। उसके दो ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर बुरी हालत में थे। तब टाटा मोटर्स ने इन्हें खरीदने का ऑफर फोर्ड को दिया। डील के सिलसिले में फोर्ड की टीम मुंबई आई और बिल फोर्ड को कहना पड़ा, ‘आप हमें बड़ा फेवर कर रहे हैं।’