हिसार। जिला मुख्यालय से 21 किमी दूर स्थित गांव रावत खेड़ा। यहां के बस स्टैंड पर एक बोर्ड लगा है। उस पर लिखा है- ड्रग एवं हिंसा मुक्त रावत खेड़ा, मेरा गांव मेरी शान। हिंसा तो नहीं लेकिन ड्रग्स का क्रूर पंजा गांव की कई जवान जिंदगी को निगल रहा है। इस बोर्ड से 100 मीटर दूर गली में पेड़ के नीचे बैठे बुजुर्गों का दर्द छलक उठता है।
कहते हैं, भाई गांव की नस्ल बिल्कुल खराब हो गई। कल ही नशे का इंजेक्शन लगाते वक्त 30 साल के नौजवान की मौत हो गई। अभी तो कई ऐसे नौजवान हैं, जो नशे की जकड़ में बुरी तरह से जकड़े हुए हैं। बुजुर्गों की बात पर तो मोहर उस वक्त लग गई।
जब बस स्टैंड से 200 मीटर दूर कुएं और गांव के बाहर खेतों में बने खंडहर नुमा मकान में पड़ी नशे से भरी सिरिंज पड़ी हुई मिलीं। ग्रामीणों के अनुसार, 15 दिन में तीन और तीन महीने में कुल छह लोगों की मौत हो चुकी है। दो के स्वजन खुद मानते हैं कि उनके बेटों की मौत नशे के कारण हुई है।
ग्रामीणों की मानें तो दो बाप बेटों की भी नशे से मौत हुई है। हालांकि उनके स्वजन कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। पुलिस रिकार्ड में मौत का डाटा जीरो है। सच यह है कि करीब 65 युवा नशे की जकड़ में है।
ग्रामीणों की जुबानी गांव का दर्द
जब जागरण टीम बस स्टैंड के पीछे बने कुएं की तरफ चली तो एक पेड़ के चबूतरे पर ग्रामीण सुभाष मिले। उन्होंने बताया कि गांव के हालात बहुत ज्यादा खराब हैं। गांव को नशा मुक्त करने को लेकर पुलिस के साथ बीस बार मीटिंग हो चुकी है। युवाओं को नशे से बचने के लिए कई बार समझा चुके हैं, मगर कोई सुधार नहीं है। तीन महीने में छह की मौत नशे के कारण हो चुकी है।
गांव के बस स्टैंड पर लगा बोर्ड
फैक्ट्री में काम करता था राजवीर बाल सिंह ने बताया कि उनके भतीजे राजवीर सिंह की करीब तीन महीने पहले नशे की ओवरडोज के कारण मौत हो गई थी। राजवीर काफी समय से हिसार स्थित एक फैक्ट्री में काम करता था। पिछले करीब डेढ़ साल से नशे की लत लग चुकी थी। उन्होंने राजवीर का नशा छुड़वाने के काफी प्रयास भी किए लेकिन सब असफल रहे।
नशा बेचने और करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए
सरपंच श्रीराम गांव रावत खेड़ा के सरपंच श्रीराम का कहना है कि अभी तक नशे की वजह से छह लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में उनकी प्रशासन से अपील है कि गांव में नशा बेचने और करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। जिससे गांव की नस्ल खराब होने से बच सके।
गांव रावत खेड़ा की ढाणी में रहने वाले पवन कुमार ने बताया कि उनके छोटे भाई 30 वर्षीय वेदप्रकाश के दो बच्चे हैं। रविवार शाम को करीब चार बजे नशे का इंजेक्शन लगाते वक्त गांव के कुएं पर वेदप्रकाश की मौत हो गई। पिछले करीब दो साल से नशे का आदी था।
वो वेदप्रकाश का नशा छुड़वाने के लिए कई बार कोशिश कर चुके थे, लेकिन वो सफल नहीं हो पाए। अब प्रशासन से अपील करते हैं कि गांव के अन्य युवाओं को इस नशे की बीमारी के चपेट में आने से बचा लें। कुएं में डूबी नशे से झूमती जिंदगी।
नहीं रुकी नशाखोरी तो यूं ही युवा अपनी जान से धोते रहेंगे हाथ
रावत खेड़ा के पूर्व सरपंच सियाराम का कहना है कि उनके गांव में छह लोगों की नशे की ओवरडोज के कारण मौत हो चुकी है। हालात यही रहे तो छह-सात महीने में चार -पांच और युवाओं की नशे के कारण जान जा सकती है। उनकी प्रशासन से मांग है कि गांव में नशा बेचने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।
रावत खेड़ा में अभियान के तहत 30 के युवकों को नशा मुक्त करवाते हुए दवाई दी गई। गांव में नशा तस्करी करने वाले कई लोगों को जेल में डाला जा चुका है। नशे से छह मौतों का मामला हमारे संज्ञान में नहीं है। हमारी टीम गांव में जाकर नशे की स्थिति को लेकर जांच करेगी। एडीजीपी का निर्देश है कि नशे की वजह से किसी की मौत होती है तो तस्कर का पता लगाकर उसके खिलाफ केस दर्ज किया जाए। कई मेडिकल स्टोरों को भी प्रतिबंधित दवाएं बेचने पर सील कर चुके हैं। -सज्जन कुमार, प्रवक्ता एडीजीपी, हिसार रेंज