लंदन/नई दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि भारतीय लोकतांत्रिक ढांचों पर ‘बर्बर हमले’ हो रहे हैं। देश की संस्थाओं पर व्यापक हमला हो रहा है। ब्रिटेन के दौरे के तहत लंदन में मौजूद विपक्षी नेता ने पत्रकारों से कहा कि देश के लिए एक वैकल्पिक दृष्टिकोण के इर्द-गिर्द एकजुट होने और बेरोजगारी, महंगाई, धन का कुछ चुनिंदा लोगों के पास होना और महिलाओं के खिलाफ हिंसा जैसे अहम मुद्दों पर लोगों के अंदर जो गुस्सा है, उससे निजात दिलाने के लिये विपक्षी एकजुटता को लेकर बातचीत चल रही है।
यहां इंडियन जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (आईजेए) की तरफ से आयोजित कार्यक्रम ‘इंडिया इनसाइट्स’ में गांधी ने संवाददाताओं को बताया, ‘यात्रा इसलिए जरूरी हो गई, क्योंकि हमारे लोकतांत्रिक ढांचे पर बर्बर हमले हो रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मीडिया, संस्थागत ढांचे, न्यायपालिका, संसद सभी पर हमले हो रहे हैं और हमें सामान्य माध्यम से लोगों के मुद्दे रखने में बहुत मुश्किल हो रही थी।’
गांधी ने अफसोस जताया कि अमेरिका और यूरोप सहित दुनिया के लोकतांत्रिक हिस्से यह संज्ञान लेने में नाकाम रहे हैं कि ‘लोकतंत्र का एक बड़ा हिस्सा नष्ट कर दिया गया है।’ उन्होंने कहा, ‘भाजपा चाहती है कि भारत खामोश रहे। वे चाहते हैं कि यह शांत हो… क्योंकि वे चाहते हैं कि जो भारत का है, उसे ले सकें और अपने करीबी दोस्तों को दे सकें। यही विचार है, लोगों का ध्यान भटकाना और फिर भारत की संपत्ति को तीन, चार, पांच लोगों को सौंप देना।’
ठाकुर ने कहा कि गांधी को चुनावों में कांग्रेस की करारी हार का अंदाजा था और ऐसे में उन्होंने विदेशी धरती से आरोप लगाने का सहारा लिया। उन्होंने कहा, ‘एक बार फिर कांग्रेस चुनावों में हार गई, लेकिन उनका दिवालियापन तब स्पष्ट हो गया, जब उन्होंने विदेशी धरती से भारत को बदनाम करने का कोई मौका नहीं गंवाया।’
अगले आम चुनाव के लिए कांग्रेस और विपक्ष की योजनाओं के बारे में पूछे जाने पर गांधी ने शनिवार को कहा कि चुनाव की लड़ाई सिर्फ राजनीतिक दलों के बीच नहीं है, बल्कि संस्थानों के खिलाफ भी है, क्योंकि भारतीय राजनीति में सभी के लिये “समान अवसर नहीं है”।
राहुल गांधी ने कहा, “विपक्षी दलों के बीच बातचीत चल रही है, उनमें से कई के बारे में मैं जानता हूं। यह मूल विचार कि आरएसएस और भाजपा से लड़ने और पराजित करने की आवश्यकता है, विपक्ष के मन में गहराई से बैठ गया है। इसके बारे में कोई सवाल ही नहीं है।”
विदेशी धरती पर देश को बदनाम करने के सरकार के आरोपों पर भी राहुल गांधी ने पलटवार किया।
उन्होंने कहा, “मैंने कभी अपने देश को बदनाम नहीं किया, मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं है, मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा। मैं जो कहता हूं, उसे तोड़-मरोड़कर पेश करना भाजपा को अच्छा लगता है… सच तो यह है कि विदेश जाने पर जो भारत को बदनाम करता है, वह भारत के प्रधानमंत्री हैं…कहते हैं कि एक दशक बीत गया और पिछले 10 वर्षों में कुछ नहीं हुआ- तो क्या हुआ वे सभी लोग जिन्होंने भारत में काम किया, जिन्होंने उन 10 वर्षों में भारत का निर्माण किया? क्या वह उनका अपमान नहीं कर रहे हैं? और, वह ऐसा विदेशी धरती पर कर रहे हैं।”
कांग्रेस सांसद ने कहा कि एक निश्चित विमर्श पेश करने के लिये अरबों डॉलर खर्च किए गए और अडाणी समूह के संस्थापक और अध्यक्ष गौतम अडाणी की तरफ इशारा किया।
राहुल गांधी ने कहा, “अडानी जिस भी नीलामी में भाग लेते हैं, वह जीतते नजर आते हैं।”
उन्होंने कहा, “मैं अपनी आंखों से देख रहा हूं कि भारत में क्या हो रहा है। और मैं देख सकता हूं कि अडाणी तीन साल में 609वें सबसे अमीर आदमी से दूसरे सबसे अमीर आदमी बन गए हैं। मैं देख सकता हूं कि उन्हें हर जगह पुरस्कृत किया गया है। मैं देख सकता हूं कि उन्हें देश के हर उद्योग में हावी होने की इजाजत दी गई है।”
उन्होंने कहा कि उस व्यवसायी के प्रधानमंत्री के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं।