भारतीय टीम बांग्लादेश के खिलाफ पहले वनडे मैच में जिस प्लेइंग-XI के साथ उतरी है उस पर इंग्लैंड की व्हाइट बॉल फिलोसॉफी की छाप देखी जा सकती है। भारत ने मल्टिपल स्किलसेट वाले खिलाड़ियों को ज्यादा मौका देने की कोशिश की है। इंग्लैंड ने इसी फॉर्मूले को अपनाते हुए पिछले कुछ सालों में वनडे और टी-20 क्रिकेट में जमकर सफलता हासिल की है और दोनों फॉर्मेट में वर्ल्ड चैंपियन बन गई है।
विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत को वैसे तो मेडिकल रीजन बताते हुए वनडे सीरीज से अचानक बाहर कर दिया गया, लेकिन जब आप भारत की ताजा प्लेइंग-XI और इसके पीछे की संभावित सोच को जानेंगे तो पंत से जुड़े सवाल का जवाब भी मिलने लगेगा।
पहले देखते हैं भारत की प्लेइंग-XI की खासियत
भारत
की ओर से इस मैच में उतरी टीम की बैटिंग लाइनअप काफी डीप है। रोहित शर्मा
और शिखर धवन ने ओपनिंग की तो विराट कोहली नंबर-3 पर आए। इसके बाद श्रेयस
अय्यर, केएल राहुल आए। नंबर-6 से नंबर-9 के लिए वाशिंगटन सुंदर, शाहबाज
अहमद, शार्दूल ठाकुर और दीपक चाहर हैं। इन चारों की प्राथमिक भूमिका वैसे
तो गेंदबाजी है, लेकिन ये बल्लेबाजी भी अच्छी कर लेते हैं।
अगर गेंदबाजी पर नजर डालें तो सुंदर, शाहबाज, शार्दूल और दीपक के साथ कुलदीप सेन और मोहम्मद सिराज मौजूद हैं। यानी भारत ने ऐसी प्लेइंग-XI चुनी है जिसमें बल्लेबाजी के लिए 9 और गेंदबाजी के लिए 6 ऑप्शन मौजूद हैं।
इंग्लैंड भी इसी फॉर्मूले के साथ खेलता है
वनडे
और टी-20 में इंग्लैंड की टीम भी इसी फॉर्मूले के साथ उतरती है। इंग्लिश
टीम की प्लेइंग-XI में अक्सर 9 से 10 खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो बल्लेबाजी कर
सकते हों। साथ ही 6 से 7 खिलाड़ी गेंदबाजी करने में सक्षम होते हैं। इसको
बेहतर तरीके से समझने के लिए हाल ही में हुए टी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल में
उतरी इंग्लैंड की प्लेइंग-XI को देखिए…
उसमें जोस बटलर और एलेक्स हेल्स ने ओपनिंग की। फिल साल्ट, बेन स्टोक्स और हैरी ब्रूक नंबर-3 से नंबर-5 तक आए। इसके बाद मोइन अली और लियाम लिविंगस्टन आए। इंग्लिश प्लेइंग-XI के आखिरी चार खिलाड़ियों सैम करन, क्रिस वोक्स, क्रिस जॉर्डन और आदिल राशिद में करन और वोक्स अच्छी बल्लेबाजी कर लेते हैं।