मध्यप्रदेश में श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क से निकला चीता बीती देर रात जंगल की ओर लौट गया, लेकिन कूनो की बजाए नहाड़-शिलपुरा गांव के पास बफर जोन में पहुंच गया। वह श्योपुर के जंगल के काफी करीब है। यहां वन विभाग की टीम मौजूद है। वनकर्मी चीते को वापस कूनो की ओर भेजने की कोशिश में जुटे हैं। कॉलर आईडी से उसकी लोकेशन ट्रेस कर हर मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है।
ओवान नाम का ये चीता आज यानी मंगलवार की सुबह करीब 9 बजे नहाड़-शिलपुरा गांव से करीब 1 से 2 किलोमीटर अंदर जंगल में देखा गया। रात भर में वह करीब 35 से 40 किलोमीटर का सफर तय करके यहां पहुंचा है। वह लगातार जंगल में बढ़ रहा है। अब अगर चीता शिवपुरी के जंगल में या यहां के रिहायशी इलाकों में पहुंचता है तो वन अमले की परेशानियां और भी ज्यादा बढ़ जाएंगी। क्योंकि यहां हर जगह गाड़ियां नहीं पहुंच पाती हैं और चीते के बराबर रफ्तार में वन कर्मी भाग भी नहीं सकते।
पार्वती नदी के किनारे पानी पीते नजर आया था चीता
चीता सोमवार दोपहर करीब साढ़े 3 बजे चीता पार्वती-बड़ौदा गांव के खेतों में नजर आया था। वहां से झार-बड़ौदा गांव की सीधी दूरी महज डेढ़ किलोमीटर है। दोनों गांव के बीच क्वारी नदी बहती है। इसलिए सीधा रास्ता नहीं है। करीब 4 किलोमीटर घूमकर एक-दूसरे गांव में आया-जाया जा सकता है।
दोनों गांव के बीच बहने वाली क्वारी नदी के किनारे चीता पानी पीते नजर आया। इससे पहले रविवार को सुबह चीता झार-बड़ौदा गांव के खेतों में पहुंच गया था, हालांकि शाम तक वह फिर से जंगल की ओर लौट गया था, लेकिन आज क्वारी नदी पार कर पार्वती बड़ौदा गांव के आसपास दिखा। ये दोनों गांव कूनो नेशनल पार्क से लगे हुए हैं।
‘ओवान’ को रास आ रहा क्वारी नदी का इलाका
कूनो से निकले नर चीता ओवान को क्वारी नदी का इलाका काफी रास आ रहा है। वह यहां से लौटने को तैयार नहीं है। रविवार को वह क्वारी नदी से लगे झार बड़ौदा गांव और फिर सोमवार को नदी से ही लगे पार्वती बड़ौदा गांव के पास मूवमेंट करता नजर आ रहा है। कभी खेतों में बैठा नजर आता है, तो कभी नदी के किनारे। तो कभी पहाड़ी के टीले पर बैठकर इधर उधर नजरें दौड़ाता दिखता है। वन विभाग अमला भी चीते के आसपास मौजूद रहता है, जो उसकी हर गतिविधि पर नजर बनाए हैं।
दोपहर का समय पानी और ठंडक वाली जगह पर बिता रहा चीता
नर चीता ओवान दोपहर के समय पानी या ठंडी जगह पर बैठकर बिता रहा है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि रविवार को जब उसे कूनो के बाहर सबसे पहले देखा गया, तब वह प्याज और लहसुन के पानी भरे खेत में बैठा हुआ था। इसका वीडियो भी सामने आया। वहीं सोमवार दोपहर को वह पार्वती बड़ौदा गांव के इलाके में क्वारी नदी पर पानी पीते दिखा। वहां आस-पास की झाड़ियों में जहां थोड़ी ठंडक थी, वहां दिन का समय काटने के बाद शाम होने पर खेतों की ओर जाने लगा।
चीते को देखने की खुशी, लेकिन दहशत भी
चीते की गांव के आसपास मौजूदगी से ग्रामीणों में दहशत देखी जा रही हैं। लोग अपने खेतों पर जाने से डर रहे हैं। ग्रामीण वीरेंद्र रावत का कहना है कि चीता हमारे गांव के पास खेतों पर आ गया है, कुछ लोग उसे दूर से देखकर खुश हो रहे हैं तो ज्यादातर डरे हुए हैं। वन विभाग को जल्द ऐसे उपाय करने चाहिए, जिससे चीते और दूसरे जंगली जानवर रिहायशी इलाकों में न आ पाए।
वन अधिकारी बोले दहशत जैसी कोई बात नहीं
कूनो वन मंडल के विजयपुर एसडीओ अमित राठौर का कहना है कि चीता की आदत एरिया में खुले तौर पर विचरण करने की होती है, आज तक उसने दुनिया में कहीं भी इंसानों पर अटैक नहीं किया है, इसलिए उसके साथ या उसकी वजह से दहशत शब्द जोड़ना ठीक नहीं है, इंसानों को चाहिए कि उसे घूमने दें, भीड़ लेकर उसके रास्ते में बाधा नहीं पहुंचाएं।
स्ट्रेस न हो इसलिए ट्रेंकुलाइज नहीं कर रहा वन अमला
चीते को वापस भेजने के लिए ट्रेंकुलाइज भी किया जा सकता है, लेकिन फिलहाल वन अमला चीते पर निगरानी रखकर उसके लौटने का इंतजार कर रहा है। विजयपुर क्षेत्र के कूनो वन मंडल के एसडीओ अमित राठौर से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि चीता पूरी तरह से सुरक्षित है। वह वन अमले की निगरानी में है, चीते को स्ट्रेस नहीं हो इसलिए इंतजार किया जा रहा है कि वह खुद लौट जाए।
रविवार सुबह 6 बजे ग्रामीणों ने चीता देखा
ग्रामीणों का कहना है कि चीता रविवार को विजयपुर इलाके के झार-बड़ौदा में दिखा। गांव के ही रहने वाले राकेश ने बताया कि उनके घर के पीछे वाले खेत में प्याज लगी है। सुबह करीब 6 बजे उनकी नजर खेत में गई तो तारों के पास चीता लेटा हुआ था। उन्होंने अपने घर से चीते का वीडियो बनाया। गांव से करीब डेढ़ किमी दूर 10 दिन से चीते का मूवमेंट दिख रहा था।
शनिवार-रविवार की रात ओवान चीते ने झार-बड़ौदा गांव से डेढ़ किलोमीटर दूर खेतों के पास एक गाय का शिकार भी किया। जिसका शव इलाके के ग्रामीणों ने देखा। चीते को खेतों में देखने के बाद इलाके के ग्रामीणों में दहशत फैली हुई है। लोग खेतों पर जाने से भी डर रहे हैं।
चार चीतों को जंगल में किया गया था रिलीज
चीता टास्क फोर्स के अधिकारियों ने पिछले दिनों ओवान, आशा, फ्रेंडी और एल्टन नाम के चीतों को बाड़े से खुले जंगल में रिलीज किया था। इसके बाद से ये चारों लगातार कूनो से बाहर निकलकर कभी टिकटॉली इलाके में तो कभी मोरावन क्षेत्र में देखे जा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सुबह से उनके खेतों में चीता घुसा हुआ है। हम पहले इसे तेंदुआ समझ रहे थे, बाद में पता चला है कि यह चीता है।
कूनो में चीता ने 4 शावकों को जन्म दिया
भारत में पांच दशक बाद पहली बार चीते का जन्म हुआ। कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से आई फीमेल चीता सियाया ने बुधवार को 4 शावकों को जन्म दिया। केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। PM मोदी ने रीट्वीट करते हुए लिखा – वंडरफुल न्यूज। सियाया के प्रेग्नेंट होने की जानकारी 20 दिन पहले कूनो नेशनल पार्क के मैनेजमेंट को मिली थी। तभी से उसे स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जा रहा था।
सोमवार को कूनो नेशनल पार्क में 8 चीतों में से एक 5 साल की मादा चीता साशा की मौत हो गई। वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट ने मौत का कारण रीनल फेल्योर (किडनी खराब होना) माना है। साशा 22 जनवरी से बीमार थी, डिहाइड्रेशन के कारण उसे तरल खाद्य पदार्थ दिया जा रहा था, लेकिन इस मौत में दो चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। पहली- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के ADG एसपी यादव ने बताया कि भारत आने से पहले ही साशा को किडनी की बीमारी थी।
वन विभाग चीता प्रोजेक्ट की तर्ज पर विलुप्त होते स्याहगोश को भी बसाएगा
वन विभाग ने चीता प्रोजेक्ट की तर्ज पर विलुप्त होते स्याहगोश (कैरेकल) को बसाने की प्लानिंग बनाई है। अभी इसके लिए घाटीगांव का जंगल उपयुक्त माना गया है। इस जंगल में बाड़ा बनाने के लिए स्थानों का चयन किया जा रहा है। जैसे ही स्याहगोश उत्तर प्रदेश या राजस्थान से मिलने की स्वीकृति मिलेगी। स्याहगोश को घाटीगांव में एक्सपर्ट टीम के माध्यम से बाड़ों में छोड़ा जाएगा। इसके बाद धीरे-धीरे इनका कुनबा बढ़ाया जाएगा।