नई दिल्ली : रायपुर में कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस ने दो अहम मुद्दों पर अपनी ओर से संदेश देने की कोशिश की। पहला मुद्दा था कि वह ब्रांड मोदी पर सीधा हमला करने करने से नहीं हिकचेगी। वहीं दूसरा संदेश यह कि पार्टी विपक्षी एकता की दिशा में बाधक नहीं है और वह इस दिशा में कोशिश करेगी। रायपुर अधिवेशन में नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी पर हमला तो किया ही गया, बल्कि ब्रांड मोदी के दो सबसे मजबूत पक्ष पर अब सीधा हमला करेगी। पहला अडानी मुद्दे को पूरे देश में उठाने की घोषणा के साथ करप्शन से इसे जोड़ना और दूसरा चीन का मुद्दा उठाकर उनके राष्ट्रवाद पर हमला करना।
रायपुर में ही अडानी मुद्दे पर पूरे देश में आंदोलन चलाने की रणनीति बनी और आनन-फानन में इसकी घोषणा भी की गई। पूरे सम्मेलन में अडाणी मुद्दा पार्टी के मूल अजेंडे में रहा। वहीं पार्टी ने बीजेपी के राष्ट्रवाद को भी काउंटर करने के लिए सम्मेलन में विस्तार से चर्चा की। रायपुर अधिवेशन में विपक्षी एकता पर भी कांग्रेस का नरम रवैया दिखा। खासकर पिछले साल जयपुर चिंतन शिविर के उलट इस बार लगभग सभी नेताओं ने बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता की बात की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकाजुर्न खरगे ने इस मसले पर बात की और माना कि विपक्षी एकता की जरूरत है तो प्रियंका गांधी ने भी अपने भाषण में विपक्षी एकता का जिक्र किया। दरअसल कांग्रेस अपने सर्वोच्च मंच से यह संदेश नहीं देना चाहती थी कि वह विपक्षी एकता की हिमायती नहीं है। न ऐसा दिखाना चाहती थी कि वह इस दिशा में गंभीर नहीं है।
कांग्रेस अधिवेशन में विपक्षी एकता पर बात ऐसे समय उठी जब पिछले कुछ दिनों से तमाम क्षेत्रीय दलों ने कांग्रेस को इसके लिए पहल करने को कहा है। दिलचस्प बात है कि 25 फरवरी को जब रायपुर मं कांग्रेस अधिवेशन चल रहा था उसी समय बिहार में पूर्णिया में महागठबंधन की रैली नीतीश कुमार ने कांग्रेस को इसके लिए पहल लेने को कहा था। मालूम हो कि बीते साल उदयपुर में कांग्रेस के नव संकल्प शिविर में राहुल गांधी ने क्षेत्रीय दलों की सीमाओं गिनाते हुए कहा था कि देश में अकेली कांग्रेस ही है, जो बीजेपी व संघ से लड़ सकती है।
राहुल का कहना था कि क्षेत्रीय दलों की अपनी जगह तो हैं, लेकिन उनकी कोई विचारधारा नहीं होती। बीजेपी भी जानती है कि क्षेत्रीय दलों के हित क्षेत्रीय होते हैं, इसलिए वे उसे नहीं हरा सकते। राहुल के इस बयान पर एसपी, आरजेडी, जेएमएम से लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस व सीपीएम तक तमाम क्षेत्रीय दलों की ओर से तीखी टिप्पणियां आई थीं। लेकिन इस बार रायपुर में कांग्रेस ने बाकी क्षेत्रीय दलों तक संदेश देने में सफल रही कि वह विपक्षी एकता के लिए पहल करने को तैयार है, लेकिन इसकी रूपरेखा तय करने में उसकी अहम भूमिका होगी।