नई दिल्ली: देश और दुनिया में चैटजीपीटी (ChatGPT) जैसे एआई-इनेबल्ड स्मार्ट टेक प्लेटफॉर्म्स का चलन तेजी से बढ़ रहा है। दुनियाभर की सरकारें इस बात पर माथापच्ची कर रही हैं कि इस पर कैसे लगाम लगाई जाए। भारत सरकार भी इससे बेखबर नहीं है। सरकार इसके लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क (regulatory framework) बनाने पर विचार कर रही है। उसका कहना है कि इस बारे में जो भी कानून बनाया जाएगा, वह दूसरे देशों के कानूनों के मुताबिक होगा। कम्युनिकेशंस एंड आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) ने मंगलवार को कहा कि एआई प्लेटफॉर्म्स का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। दुनिया के कई देश इस पर नजर रखे हुए हैं। दुनियाभर के देशों के बीच चर्चा के बाद इस बारे में एक फ्रेमवर्क बनाने की जरूरत है।
चैटजीपीटी की बढ़ती लोकप्रियता
चैटजीपीटी को स्टार्टअप कंपनी ओपनएआई (OpenAI) ने विकसित किया है। इसे पिछले साल के अंत में लॉन्च किया गया था और पहले पांच दिन में ही इसके 10 लाख से अधिक यूजर बन गए थे। माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) ने इस कंपनी में अरबों डॉलर का निवेश किया है। साथ ही उसने अपने प्रॉडक्ट्स में इस टेक्नोलॉजी को इंटिग्रेट किया है। गूगल (Google) भी अपना जेनेरेटिव एआई टूल Bard को विकसित कर रहा है। लेकिन दुनियाभर के रेगुलेटर्स इस तरह की टेक्नोलॉजी की बढ़ती लोकप्रियता, स्वीकार्यता और बढ़ते चलन से चिंतित हैं। उनकी चिंता यह है कि इससे लोगों को गुमराह किया जा सकता है, फर्जी खबरें फैलाई जा सकती हैं, कॉपीराइट का उल्लंघन किया जा सकता है और लाखों नौकरियों से हाथ धोना पड़ सकता है।