नई दिल्ली: सबकुछ किसी परीकथा की तरह चल रहा था। अडानी ग्रुप (Adani Group) के शेयर रोज नए-नए रेकॉर्ड बना रहे थे। ग्रुप तेजी से कई क्षेत्रों में अपना कारोबार फैला रहा था। ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी (Gautam Adani) दुनिया के अमीरों की लिस्ट में दूसरे नंबर तक पहुंच गए थे। फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसने गौतम अडानी की दुनिया हिलाकर रख दी। 24 जनवरी को अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की एक रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप का शॉर्ट सर्किट कर दिया। इस रिपोर्ट में आरोप लगाए गए थे कि अडानी ग्रुप ने शेयरों की कीमत के साथ छेड़छाड़ की। अडानी ग्रुप ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि यह भारत के खिलाफ साजिश है। सच्चाई जो भी लेकिन यह बात तय है कि इस रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप को बुरी तरह हिलाकर रख दिया है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश पर मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों की जांच कर रहा है।
पेट्रोकेम प्रोजेक्ट का काम रोका
गुजरात के मुंद्रा में इस प्रोजेक्ट पर काम हो रहा था। सूत्रों के मुताबिक 34,900 करोड़ रुपये के इस पेट्रोकेमिकल प्रोजेक्ट का काम को रोक दिया गया है। ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) ने साल 2021 में अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकॉनोमिक जोन (APSEZ) की जमीन पर कोल टू पीवीसी प्लांट स्थापित करने के लिए मुंद्रा पेट्रोकेम लिमिटेड बनाई थी। ग्रुप ने वेंडर्स और सप्लायर्स को तत्काल सभी तरह की एक्टिविटीज रोकने को कहा है। अडानी ग्रुप ने अपना रेवेन्यू ग्रोथ टारगेट आधा कर दिया है। साथ ही निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए फ्रेश कैपिटल एक्सपेंडीचर को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
एफपीओ लेना पड़ा था वापस
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) को 20,000 करोड़ रुपये का एफपीओ (FPO) वापस लेना पड़ा था। इसके बाद अडानी पावर (Adani Power) ने डीबी पावर (DB Power) को खरीदने के लिए की गई डील से पल्ला झाड़ दिया था। जब 2022 में डीबी पावर डील की घोषणा की गई थी तो यह इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में अडानी ग्रुप की दूसरी सबसे बड़ी मर्जर एंड एक्विजिशन डील थी। इस डील को सीसीआई से भी मंजूरी मिल गई थी। डील को कंप्लीट करने की डेट चार बार बढ़ाई गई थी और फाइनल क्लोजिंग डेट 15 फरवरी को एक्सपायर हो गई। लेकिन हिंडनबर्ग रिसर्च के झटकों से जूझ रहा अडानी ग्रुप इस डील को पूरा करने में नाकाम रहा।
पीटीसी के लिए नहीं लगाई बोली
अडानी ग्रुप ने साथ ही पीटीसी इंडिया लिमिटेड (PTC India Ltd.) से भी हाथ पीछे खींच लिए हैं। अडानी ग्रुप इस सरकारी इलेक्ट्रिसिटी ट्रेडर कंपनी के लिए बोली लगाने की तैयारी में था। लेकिन उसने इसके लिए बोली नहीं लगाने का फैसला किया है। पीटीसी इंडिया लिमिटेड में चार सरकारी कंपनियों एनटीपीसी (NTPC), एनएचपीसी (NHPC), पावर ग्रिड (Power Grid) और पावर फाइनेंस (Power Finance) की हिस्सेदारी है। ये कंपनी पीटीसी इंडिया में अपनी चार-चार फीसदी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में हैं। अगर पीटीसी इंडिया अडानी की झोली में आती तो इससे देश के एनर्जी वैल्यू चेन में उनकी पकड़ और मजबूत होती।