आजकल हर फिल्म में वीएफएक्स का खूब धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है। तकनीक भी उपलब्ध है तो वीएफएक्स भी भरपूर मात्रा में परोसा जा रहा है। लेकिन जब वीएफएक्स का जमाना नहीं था, जब स्पेशल कंप्यूटर नहीं थे, तब रामानंद सागर ने अपने सीरियल ‘रामायण’ को जुगाड़ से शूट किया था। आपने ‘रामायण’ सीरियल देखा है, तो गौर किया होगा कि युद्ध वाले सीन में कभी तीरों और अस्त्रों का टकराव, अलग तरह के स्पेशल इफेक्ट्स के साथ दिखाया जाता था। क्या आप जानते हैं कि रामानंद सागर ने उन सीन्स के लिए क्या ट्रिक लगाई थी? किसी तकनीक या कंप्यूटर की मदद के बिना ऐसे बहुत सारे सीन्स थे, जो रामानंद सागर ने जुगाड़ से शूट किए थे। किसी सीन के लिए अगरबत्ती का इस्तेमाल हुआ तो किसी में रुई यानी कॉटन का। WoW Wednesday सीरीज में जानिए ‘रामायण’ के उन सीन्स के बारे में, जिन्हें जुगाड़ से बनाया गया।
हिंदी सिनेमा की शुरुआत 1913 में हुई थी और तब से लेकर अभी तक काफी कुछ बदल चुका है। ब्लैक एंड वाइट और मूक फिल्मों के बाद बोलती फिल्में आईं। तकनीक में बदलाव हुआ तो सीन्स को फिल्माने का तरीका भी बदल गया। और फिर वक्त के साथ फिल्मों से लेकर टीवी शोज में वीएफएक्स, स्पेशल इफेक्ट्स का खूब इस्तेमाल होने लगा। आजकल हर बड़े बजट की फिल्मों में खूब वीएफएक्स इस्तेमाल हो रहा है। ‘ब्रह्मास्त्र पार्ट 1’ से लेकर ‘केजीएफ 1’ और ‘केजीएफ 2’, ‘बाहुबली’ सीरीज समेत कई फिल्में हैं, जिनमें वीएफएक्स ने सिनेमाई पर्दे पर कहर ढा दिया था। प्रभास, कृति सेनन स्टारर Adipurush में भी VFX का कमाल देखने को मिलेगा। इसमें राम, सीता और लक्ष्मण समेत हर किरदार के एक्शन और अन्य सीन्स में वीएफएक्स के जरिए जान डाली जाएगी। लेकिन हम आपको बता रहे हैं कि रामानंद सागर ने अपनी ‘रामायण’ के लिए कैसे जुगाड़ लगाकर वीएफएक्स तैयार किए थे।
अगरबत्ती से धुआं तो रुई से बादल बनाए
Ramanand Sagar के बेटे Prem Sagar ने एक बार हमारे सहयोगी ईटाइम्स से बातचीत में बताया था कि स्पेशल इफेक्ट्स क्रिएट करने के लिए तब कोई स्पेशल कंप्यूटर नहीं थे। इसलिए ज्यादातर इफेक्ट्स कैमरों से तैयार किए गए। प्रेम सागर ने बताया था, ‘हमने स्पेशल इफेक्ट्स के लिए बैक प्रोजेक्शन, मिनिएचर जैसी कुछ तकनीकों का इस्तेमाल किया। रात में शूट करते थे तो रुई से बादल बनाते थे। इसके लिए रुई को बादल के रूप में शीशे पर चिपका देते, और फिर उसे कैमरे में फिट कर देते थे।
मिनिएचर और कटआउट का यूज
प्रेम सागर ने फिर उस सीन के बारे में बताया था जिसमें भगवान शिव हिमालय पर्वत पर नाच रहे हैं। उस सीन में स्पेशल इफेक्ट के लिए स्लाइड्स का इस्तेमाल किया गया था। इसमें स्क्रीन पर बैकग्राउंड में प्लेनेट के छोटे-छोटे मिनिएचर रखे गए और फिर स्लाइड प्रोजेक्टर में अलग-अलग स्लाइड्स लगाए गए। वहीं जहां पर पहाड़ होते थे तो उन सीन्स के लिए 10 से 15 फीट के मिनिएचर यूज किए गए।
इस ट्रिक से टकराते थे तीर
प्रेम सागर ने यह भी बताया था कि जिस समय ‘रामायण’ शूट किया जा रहा था, तो उसी दौरान मार्केट में एक नई मशीन SEG 2000 लॉन्च हुई थी। उस मशीन की मदद से सारे विशेष धनुष और तीर वाले स्पेशल इफेक्ट्स तैयार किए गए थे। आपने देखा होगा कि ‘रामायण’ में युद्ध वाले जितने भी सीन होते, सभी में तीर आपस में टकराते और फिर उनसे अजीब सी रोशनी और आवाज निकलती। वैसा स्पेशल इफेक्ट क्रिएट करने के लिए शीशे की मैटिंग और मैकेनिकल इफेक्ट का भी उपयोग किया गया। वहीं सुबह के समय के कोहरे वाला प्रभाव पैदा करने के लिए ‘रामायण’ के मेकर्स ने धूप और अगरबत्ती के धुएं का इस्तेमाल किया था।
लॉकडाउन में ‘रामायण’ ने बनाया था रिकॉर्ड
‘रामायण’ को पहली बार 1987 में दूरदर्शन पर टेलिकास्ट किया गया था। इसमें अरुण गोविल ने भगवान राम, दीपिका चिखलिया ने सीता और सुनील लहरी ने लक्ष्मण का किरदार निभाया था। इस शो में जितने भी कलाकार नजर आए, उन्हें उनके निभाए किरदारों ने हमेशा के लिए अमर कर दिया। अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया तो जहां भी जाते लोग उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेते थे। साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान ‘रामायण’ को दोबारा टेलिकास्ट किया गया था और तब इसने व्यूअरशिप के मामले में रिकॉर्ड बनाया था। ‘रामायण’ दुनिया का सबसे ज्यादा देखा जाने वाला टीवी शो बन गया था।
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