बेंगलुरु : देश के पहले स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत का संचालन इस साल के आखिर तक शुरू हो जाएगा। विक्रांत को पिछले साल सितंबर में नेवी में कमिशन किया गया था। अभी इससे फाइटर एयरक्राफ्ट उड़ाने और उतारने के ट्रायल चल रहे हैं। एयरो इंडिया के साइडलाइन में नेवी चीफ एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा कि जबसे आईएनएस विक्रांत कमिशन हुआ है इस पर लगातार फ्लाइट ट्रायल हो रहे हैं। हेलिकॉप्टर का ट्रायल पूरा हो गया है और अभी फाइटर एयरक्राफ्ट उतारने (लैंडिंग) और उड़ाने (टेकऑफ) का ट्रायल चल रहा है। यह ट्रायल अलग अलग कंडीशन में किया जा रहा है। पूरे इंस्ट्रूमेंट के साथ लैंडिंग और टेकऑफ किया जा रहा है ताकि कहीं पर सुधार की जरूरत हो तो वह पता लगे। अभी फाइटर एयरक्राफ्ट के ट्रायल दो महीने और चलेंगे उसके बाद करीब तीन महीने और अलग-अलग ट्रायल होंगे। मॉनसून के बाद इस साल के आखिर तक आईएनएस विक्रांत पूरी तरह ऑपरेशनल हो जाएगा। नेवी चीफ ने कहा कि हम एयरक्राफ्ट कैरियर की परफॉर्मेंस से खुश हैं।
अभी नेवी के पास एयरक्राफ्ट कैरियर से ऑपरेट करने के लिए करीब 45 मिग-29K फाइटर एयरक्राफ्ट हैं। लेकिन ये पुराने हो रहे हैं। नेवी इन्हें स्वदेशी एयरक्राफ्ट से रीप्लेस करना चाहती है। एचएएल ने लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (LCA) का मेरीटाइम वर्जन बनाया है लेकिन वह नेवी की सारी जरूरतें पूरी नहीं करता। इसलिए नेवी के लिए अब डीआरडीओ ट्विन इंजन डेक बेस्ड फाइटर (TEDBF) बनाने पर काम कर रहा है। एडमिरल हरि कुमार ने कहा कि इसका पहला प्रोटोटाइप 2026 तक तैयार होने की उम्मीद है। 2030 से प्रॉडक्शन शुरू होगा तो 2040 तक 45 डबल इंजन एयरक्राफ्ट मिल जाएंगे। लेकिन तब तक के गैप को भरने के लिए नेवी ने राफेल -M और F-18 सुपर हॉर्नेट के ट्रायल लिए हैं। दोनों ही लगभग सभी ट्रायल में सफल रहे। अब सरकार फैसला लेगी कि नेवी को इन दोनों में से कौन सा फाइटर एयरक्राफ्ट मिलता है। नेवी चीफ ने कहा कि जो भी सिलेक्ट होगा उसे हम 26 लेंगे। ये 26 फाइटर एयरक्राफ्ट उस गैप को भरेंगे और तब तक स्वदेशी ट्विन इंजन एयरक्राफ्ट आ जाएगा।
नेवी के पास इस वक्त दो एयरक्राफ्ट कैरियर हैं। आईएनएस विक्रमादित्य और स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत। पहले नेवी ने तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर के तौर पर बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर को लेने की जरूरत बताई थी लेकिन अब नेवी विक्रांत का ही रिपीट ऑर्डर देगी। एनबीटी के सवाल के जवाब में नेवी चीफ एडमिरल आर. हरि कुमार ने कहा कि IAC (विक्रांत) करीब 45 हजार टन का है। पहले यह विचार किया था कि IAC- 2 साइज में बड़ा होगा और 65 हजार टन का होगा। लेकिन इसके लिए फिर नया डिजाइन बनाना होगा और इसमें ज्यादा टाइम लगेगा। शिप बिल्डिंग फैसिलिटी भी अपग्रेड करनी पड़ेगी। विक्रांत डिवेलप करने में एक्सपरटीज हो गई है तो अगर रिपीट ऑर्डर देते हैं ( यानी तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर भी विक्रांत की ही तरह) तो काम जल्दी होगा, कॉस्ट भी कम आएगी। साथ ही उसमें कुछ सुधार भी कर सकते हैं। नेवी चीफ ने कहा कि अब विचार है कि IAC का ही रिपीट ऑर्डर दिया जाए हालांकि कुछ इंप्रूवमेंट के साथ। हालांकि बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए स्टडी जारी रहेगी। क्योंकि जब तक तीसरा एयरक्राफ्ट बनेगा और नेवी में कमिशन होगा तब तक आईएनएस विक्रमादित्य की लाइफ खत्म हो रही होगी और तब नेवी को एक और नए एयरक्राफ्ट कैरियर की जरूरत हो जाएगी।