नई दिल्ली: इस समय दफ्तर में इनवेस्टमेंट प्रूफ (Investment Proof) जमा कराने का मौसम आ गया है। किराये पर रहने वाले कर्मचारी इनवेस्टमेंट प्रूफ के साथ-साथ रेंट रिसीट (Rent Receipt) भी जमा करा रहे हैं। इसके साथ ही जमा कराना होता है रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement)। आपने यह जमा करा दिया है? यदि अभी तक इसे जमा नहीं कराया है तो इसे जल्दी से बनवा लीजिए। इस बनवाने से पहले कुछ बातों का तो ध्यान जरूर रखिए। हम यहां जिक्र कर रहे हैं उन 5 बातों का, जिनका ध्यान रखना जरूरी है।
कितने समय में बढ़ेगा किराया?
सबसे पहले यह तय करें कि आप हर महीने कितना किराया चुकाएंगे। हर साल किराये में कितनी वृद्धि हो जाएगी। अगर दस्तावेज में सालाना वृद्धि का उल्लेख नहीं है और मकान मालिक इसका फैसला आने वाले कुछ महीने में करेगा तो आपके लिए मोलभाव करने का यह बेहतर अवसर होगा। आमतौर पर मकान का किराया हर साल 10 फीसदी बढ़ जाता है। अगर आपको यह ठीक लगता है तो आप सहमत हो सकते हैं। हर 11 महीने के बाद किराये का एग्रीमेंट रिन्यू हो जाता है। अगर एग्रीमेंट 11 महीने से अधिक का है तो इसका रजिस्टर्ड होना जरूरी है। आपको सिक्योरिटी डिपॉजिट और मकान खाली करने की स्थिति में इसकी वापसी की प्रक्रिया के बारे में भी समझना होगा। इस कागजात में किराये का एग्रीमेंट रद्द होने की शर्त भी लिखी होती है। नोटिस पीरियड का भी इसमें जिक्र होता है। बेहतर होगा अगर आप किराया चुकाने के माध्यम के बारे में (कैश, चेक या NEFT/RTGS/IMPS) के बारे में भी इसमें लिखवा दें। इससे आप बाद में किसी विवाद से बचे रहेंगे।
किराया देर से भरने पर क्या होगा?
यह चेक करें कि एग्रीमेंट में किराया देर से चुकाने पर कोई पेनल्टी तो नहीं है। किराया चुकाने की तारीख के बारे में इसमें स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए। अगर एग्रीमेंट में किसी जुर्माने के बारे में लिखा है तो आपको किराया समय से चुकाने की कोशिश करनी चाहिए। इसके अलावा आपको बिजली, पानी के बिल, हाउस टैक्स और जिम, स्विमिंग पुल, पार्किंग, क्लब आदि की सुविधा और उसके बदले भुगतान के बारे में भी देखना चाहिए। यह ध्यान रखें कि जो भी चार्ज आप चुका रहे हैं उसके बारे में एग्रीमेंट में लिखा है। यह ध्यान रखें कि पिछला मेंटेनेंस चार्ज क्या था और पिछले किरायेदार ने सभी बिल क्लियर कर दिए हैं या नहीं। घर में शिफ्ट करने से पहले मकान मालिक से मिलकर पिछले बकाये के बारे में जानकारी जुटा लें।
रेंट एग्रीमेंट बनवाने से पहले मकान में क्या-क्या चेक करें?
जिस मकान को आप रहने के लिए किराये पर ले रहे हैं, उसका पहले अच्छे से मुआयना कर लें। बहुत से लोग छोटी-छोटी बातों पर ध्यान नहीं देते, लेकिन उसे देखना जरूरी होता है। दीवार, फ्लोर, पेंट, बिजली के सामान आदि की जांच कर लें। किचन, बाथरूम की फिटिंग सही हालत में है या नहीं, इसे जरूर चेक करें। अगर कुछ ख़राब है या सही नहीं है तो उस बारे में मकान मालिक को जरूर बताएं। शिफ्ट करने से पहले उसे लगवा लें या ठीक करायें। यहां मकान मालिक को बताने का उद्देश्य यह है कि उस खराबी के लिए आप जिम्मेदार नहीं हैं, यह बात उन्हें पता रहे।
मकान में यदि रिपेयर एवं मेंटेनेंस की आवश्यकता पड़ेगी तो उसमें खर्च किसका होगा?
घर के रेगुलर मेंटेनेंस और पेंट वगैरह की जिम्मेदारी किसकी है, यह एग्रीमेंट में साफ़-साफ़ लिखा होना चाहिए। एक बार घर में शिफ्ट हो जाने के बाद इस पर कोई विवाद ना हो, इसलिए पहले से इसे क्लियर करें। इसमें पुराने इलेक्ट्रिकल वायरिंग से लेकर नल और किचन चिमनी जैसी बहुत सी चीजें हैं। यह भी चेक करें कि अगर कोई दुर्घटना होती है तो उस स्थिति में घर को होने वाले नुकसान की भरपाई कौन करेगा। एग्रीमेंट में इस बात का साफ़ उल्लेख होना चाहिए कि किस तरह के नुकसान की जिम्मेदारी किस पर है। यह भी चेक करें कि मरम्मत का खर्च आप करेंगे तो वह किराये में कट जायेगा या मकान मालिक उसे आपको री-इम्बर्स करेगा।