‘हमसे 12 घंटे खड़े-खड़े काम कराया जाता था। कड़ी मेहनत के बाद छुट्टी मांगते तो गालियां सुननी पड़ती थीं। तबीयत खराब होने पर भी मजदूरी करने भेज देते थे। इतना ही नहीं, वेतन भी समय पर नहीं देते। मजदूरी मांगने पर मार मिलती थी। कुछ लड़कियों को दूसरे के साथ अलग सोने के लिए कहा गया। हम 2 लड़कियों को कमरे में कैद कर पहरेदारी करते रहते थे। हमें हैदराबाद भेजने की तैयारी थी। इससे पहले मौका मिलने पर हम लोग वहां से भाग निकले।’
ये दर्द है गुजरात के राजकोट से भागकर नर्मदापुरम लौटी 5 आदिवासी लड़कियों का। उनके साथ 3 लड़के भी इसी तरह की प्रताड़ना से तंग आकर लौट आए। राजकोट अमरेली में आदिवासी लड़के-लड़कियों के साथ बुरी तरह प्रताड़ना की गई। जानते हैं कोटमी रैयत की सीमा अखंडे की जुबानी…
गरीबी का फायदा उठाकर बना दिया बंधुआ मजदूर
‘परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। हम काम ढूंढ रहे थे, ताकि कुछ कमाई हो जाए। घर-परिवार के हालत में सुधार ला सकें। गांव के रहने वाली महिला भागवती बारस्कर ने कहा कि भोपाल के पास पिज्जा पैंकिंग का काम है। 300 रुपए रोज मिलेंगे। यहां से 7 घंटे का रास्ता है। मैं भी साथ चलूंगी। 6 नवंबर को वो महिला हमें इटारसी तक साथ लेकर आई। जहां पहले से ओर लड़के-लड़कियां थे। महिला हमें यूपी के रहने वाले अजय पाल को सौंप दिया और खुद वापस चली गई।
अजय पाल ने इटारसी से हमें राजकोट की ट्रेन में बैठा दिया। हम 13 लड़के-लड़कियों को अमरेली ले जाया गया। 2 मंजिला मकान में सभी को ले गए। उस मकान में करीब 25-30 लोग रहते थे। हम 13 लोगों को दो कमरे दिए गए। 8 नवंबर से शीतल कंपनी में 9 हजार रुपए प्रतिमाह की नौकरी पर लगा दिया। यहां आइसक्रीम, बिस्किट पैकिंग का काम हम सभी लोग करने लगे। कंपनी रूम से काफी दूर थी। 12-12 घंटे खड़े-खड़े काम कराते थे। 8,10 दिन बाद साथ रहने वाले कुछ लड़के-लड़कियों की तबीयत बिगड़ गई तो वे काम पर नहीं गए थे। तब अजय पाल ने काम पर जाने के लिए मारपीट करने लगा। ताने देता कि यहां काम करने आएं हो या आराम करने।
हमारे साथ की एक लड़की को अलग सोने के लिए कहता था। मजदूरी मांगने पर गालियां देने लगा। बमुश्किल से केवल 200-300 रुपए दिए। हम लोग काफी डर गए थे। घर की याद आ रही थी। हम किसी से कुछ कह भी नहीं सकते थे। डर था कि अजय पाल को पता चलने पर मारपीट करेगा, इसलिए चुपचाप काम करते। फिर वापस कमरे पर लौट आते। तबीयत खराब होने पर दवा देने के बजाय मारपीट की जाती थी। इसी दौरान एक दिन कंपनी की कैंटीन में काम करने वाले एक व्यक्ति ने मदद का आश्वासन दिया। हमें लेकर लोकल पुलिस थाना पहुंचा, लेकिन पुलिस वालों ने कहा कि तुम लोग मध्यप्रदेश के रहने वाले हो। हम मदद नहीं कर सकते।’
घर वापसी के लिए बोला तो कमरे में बंद कर दिया
सीमा
अखंडे ने बताया कि हमने कई बार अजय पाल से घर जाने के लिए कहा। पहले तो
उसने मना कर दिया, लेकिन बार-बार कहने पर बोला कि लड़कों को घर भेज देंगे और
लड़कियों को हैदराबाद भेजेंगे। 28 नवंबर को अजय पाल ने मुझे और मनीषा को
कमरे में बंद कर दिया। पहरेदारी के लिए 2 लड़के लगा दिए। अजय पाल के चाचा ने
साथी रीतेश की बेलन से मारपीट की। सुरेंद्र भैया ने कमरे से मुझे और मनीषा
को बाहर निकाला। फिर बोले कि कपड़े की पैकिंग करो।
यहां से जल्दी चलना है, तभी पहरेदारी कर रहे लड़कों ने मेन दरवाजा बंद कर दिया। जैसे-तैसे दरवाजा खोलकर हम लोग वहां से निकले। जिस दिन वहां से भागे उस दिन एक अनजान के घर में रातभर रुके। फिर 29 नवंबर को बस से राजकोट आए। हमने वनवासी कृषि एवं ग्रामीण मजदूर संघ नर्मदापुरम महामंत्री सत्यम धुर्वे को जानकारी दी।
कुछ देर बाद भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारी शिवराज सोलंकी मदद करने राजकोट स्टेशन पहुंचे। उन्होंने 10 हजार रुपए और भोजन के पैकेट देकर ट्रेन में इटारसी के लिए रवाना किया। एक दिसंबर को हम अपने गांव इटारसी पहुंच पाए।
अनजान पर किया था भराेसा जो टूट गया
घर वापस आने के
बाद अब अपने माता-पिता के साथ खेती के काम में हाथ बंटा रहे हैं। सीमा
अखंडे ने कहा कि अधिक रुपए कमाने और जोड़ने की उम्मीद में घर-गांव छोड़कर
अनजान व्यक्ति पर भरोसा किया था, जो कि टूट गया। हमें भोपाल का बोलकर
गुजरात जाने वाली ट्रेन में बैठा दिया। उसी समय हमें विरोध कर देना चाहिए
था। वहां पहुंचने पर एक घर में रखकर आइसक्रीम की फैक्ट्री में काम कराया
गया। बंधुआ मजदूरों की तरह हमारे साथ व्यवहार किया गया।
सीमा की तरह अन्य लड़कियां भी थी बंधक
नर्मदापुरम जिले
के नया पोडार की रहने वाली शीतल धुर्वे, मनीषा सेलूकर, खटामा के रीतेश
उइके, सुरेश कलमे, कोटमी रैय्यत की बेबी अखंडे, सीमा अखंडे, दूदावानी के
सुनील दर्शिमा, सालीमेट की सरस्वती परते को कोटमी रैयत की महिला भागवती बाई
बारस्कर और यूपी के अजय पाल ने नौकरी का दिलासा देकर धोखा दिया। इनमें दो
की उम्र 18 साल से कम है। पहले आश्वासन दिया कि भोपाल के पास पिज्जा की
पैकिंग का काम करना है। 6 नवंबर को लड़के-लड़कियों को इटारसी में एकत्र किया।
वहां से भोपाल के बजाय राजकोट की ट्रेन में बैठाकर अमरेली जिला ले गए।
बंधक बनाने की सूचना पर मिली
केसला
ब्लॉक के भाजपा नेता दिनेश मेहता ने बताया कि जनपद सदस्य सुनील नागले का
फोन आया था कि हमारे गांव समेत जनपद के मजदूर गुजरात की एक कंपनी में काम
करने गए हैं, वे परेशान हैं। उन्हें बंधक बनाया गया है। फिर वनवासी कृषि
एवं ग्रामीण मजदूर संघ नर्मदापुरम महामंत्री सत्यम धुर्वे, मजदूर संघ के
नर्मदापुरम संभाग प्रभारी जीतेंद्र उइके, भारतीय मजदूर संघ अध्यक्ष के
द्वारा राजकोट जिला मंत्री शिवराज सोलंकी ने रेलवे स्टेशन पहुंचकर मजदूरों
की मदद की। मजदूरों के भोजन व रात्रि विश्राम की व्यवस्था राजकोट में की।
30 नवंबर को इटारसी के लिए रवाना किया गया।
नर्मदापुरम पुलिस से मदद की उम्मीद, कब होगी कार्रवाई
राजकोट
से लौटे मजदूर लड़के-लड़कियों ने केसला थाने में लिखित शिकायत की है।
उन्हें नर्मदापुरम पुलिस से उम्मीद है कि वे उनके साथ हुई धोखाधड़ी व मारपीट
व प्रताड़ना को लेकर उस महिला और ठेकेदार अजय पाल पर कार्रवाई करेगी।
शिकायत को एक सप्ताह हो चुका है। केसला पुलिस ने बयान लेकर मामला ठंडे
बस्ते में डाल दिया है। केसला थाना प्रभारी गौरव बुंदेला का कहना है कि
मजदूरों के बयान लिए गए। मेडिकल कराया गया है। कोई चोट के निशान नहीं हैं।
मजदूरी के रुपए का लेनदेन है। श्रम विभाग उनकी सैलरी दिलाने का प्रयास
करेगा।
तहसीलदार ने FIR का लिखा, मजदूरों को मिलेगी मजदूरी
एसडीएम
मदन सिंह रघुवंशी ने बताया कि मजदूरों को वापस लाने के बाद मामले की जांच
की गई। यूपी के अजय पाल, कोटमी रैयत की महिला और अमरेली राजकोट की शीतल
कंपनी द्वारा आदिवासी बच्चों के साथ धोखाधड़ी कर अभद्रपूर्ण व्यवहार किया।
कंपनी द्वारा मजदूरों को भुगतान नहीं किया। अजय पाल ने मारपीट की व गलत काम
करने के लिए परेशान किया। घटना में शामिल आरोपियों और कंपनी पर केस दर्ज
करने के निर्देश दिए हैं। पत्र थाना प्रभारी केसला और एसडीओपी इटारसी को
भेजा है।