इस्लामाबाद: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की मानें तो देश की अंतरिम सरकार के अफगानिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते हैं लेकिन यह बात भी चिंता का विषय है कि इस देश को अब पाकिस्तान पर हमले के लिए प्रयोग किया जा रहा है। आसिफ ने कहा कि तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) अब अफगानिस्तान की जमीन का प्रयोग आतंकी हमलों के लिए कर रहा है। यह संगठन इस देश की मदद से पाकिस्तान पर खासकर खैबर पख्तून्ख्वां पर हावी होता जा रहा है। आसिफ ने व्यॉइस ऑफ अमेरिका को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है। रक्षा मंत्री ने अपने इंटरव्यू में भारत पर भी आतंकियों की मदद करने का आरोप दोहराया है।
अफगानिस्तान ने तोड़ा अपना वादा
पिछले साल टीटीपी और पाकिस्तान की सरकार के बीच एक शांति वार्ता के बाद से ही देश में आतंकी हमलों में इजाफा हुआ है। 29 नवंबर 2022 को टीटीपी ने युद्धविराम खत्म करने का फैसला किया था। इसके बाद से ही आतंकी संगठन आक्रामक हो गया है। युद्धविराम खत्म होने के बाद से 100 से ज्यादा आतंकी हमले हुए हैं जिनमें सुरक्षाबलों और पुलिस के जवानों को निशाना बनाया गया है। पाकिस्तान का मानना है कि इनमें से कई हमलों की योजना अफगानिस्तान में मौजूद टीटीपी के आकाओं की तरफ से दिए गए थे। साथ ही आतंकी हमलों के निर्देश भी अफगानिस्तान से ही दिए जाते हैं।
आसिफ ने इंटरव्यू में अपना काबुल दौरा याद किया। उन्होंने बताया कि इस दौरे पर उन्होंने अफगानिस्तान की सरकार को टीटीपी की तरफ से बढ़ते आतंकी हमलों के बारे में बताया था। आसिफ ने कहा कि मीटिंग में अफगान तालिबान ने वादा किया था कि वह टीटीपी की तरफ से बढ़ते आतंकवाद की समस्या से निपटेगा। साथ ही कहा था कि वे दोहा समझौते के मुताबिक आतंकवाद के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल नहीं होने देंगे। आसिफ की मानें तो अफगान तालिबान और टीटीपी के बीच एक भाईचारा है। उन्होंने कहा कि दोनों ही पिछले 20 सालों से नाटो के खिलाफ एक साथ लड़ रहे हैं और ऐसे में यह भाईचारा मजबूत हो गया है। आसिफ का कहना था कि टीटीपी आतंकियों में सात से आठ हजार के बीच अफगान तालिबान हैं।
आसिफ ने दावा किया है कि टीटीपी के पास एडवांस्ड उन्नत हथियार हैं जैसे कि नाइट विजन गॉगल्स। उनका कहना था कि ये वो हथियार हैं जो अमेरिकी सेना साल 2021 में अफगानिस्तान से बाहर निकलते हुए पीछे छोड़ दिए गई थी। रक्षा मंत्री ने कहा कि दूसरे देश भी टीटीपी आतंकियों को एडवांस्ड उपकरण मुहैया करा रहे हैं। उनकी मानें तो भारत जैसे कुछ देश जिनके पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं, वो अब टीटीपी की मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इससे जुड़े सबूत भी दिए हैं। खैबर पख्तूनख्वां में सेना के बढ़ते विरोध प्रदर्शन पर आसिफ ने यह माना कि पाकिस्तान में राजनीतिक स्थिति के कारण कई क्षेत्रों में आतंकवाद के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों को अक्सर मीडिया अनदेखा कर देती है। उनकी मानें तो प्रांत के लोग टीटीपी के साथ सह-अस्तित्व के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में वह तालिबान की वापसी का विरोध कर रहे हैं।