कोलंबो: अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की तरफ से आर्थिक संकट में घिरे श्रीलंका को तीन अरब डॉलर का राहत पैकेज देने का ऐलान किया गया है। संगठन की तरफ से कहा गया है कि अगले दो दिनों में देश को 330 मिलियन डॉलर की पहली किश्त मिल जाएगी। इस किश्त के साथ ही कर्ज में डूबे देश को थोड़ी राहत की सांस मिल सकेगी। कोविड-19 महामारी के अलावा आर्थिक कुप्रबंधन की वजह से साल 2020 की शुरुआत में बड़े आर्थिक संकट में फंस गया था। आयात के लिए भी डॉलर नहीं थे और इसकी वजह से देश सात दशकों में सबसे खराब आर्थिक संकट में आ गया था
आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने सोमवार को वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और बाकी उधारदाताओं की रजामंदी के बाद करीब तीन अरब डॉलर वाले बेलआउट पैकेज को मंजूरी दे दी। साल 2009 में जब श्रीलंका में गृहयुद्ध खत्म हुआ तो उसके बाद से तीन बार देश को बेलआउट पैकेज दिया जा चुका है। कुल मिलाकर आईएमएफ की तरफ से 17 बार श्रीलंका को आर्थिक मदद दी गई है। राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की तरफ से इस पर बयान जारी किया गया है।
उन्होंने कहा है कि आईएमएफ की तरफ से देश को सात अरब डॉलर का राहत पैकेज मिल सकता है। विक्रमसिंघे की तरफ से कहा गया है, ‘श्रीलंका अब कंगाल नहीं है। यह कर्ज एक तरह का भरोसा है जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से श्रीलंका को दिया गया है। इस मदद में इतनी क्षमता है कि यह कर्ज को पुर्नगठित कर सकता है और साथ ही सामान्य लेनदेन को बहाल कर सकता है।’हालांकि, आईएमएफ की तरफ से मिले इस कर्ज से लाखों श्रीलंकाई नागरिकों को तुरंत कोई मदद नहीं मिल पाएगी।
देश की आम जनता बढ़ी महंगाई, ज्यादा इनकम टैक्स और बिजली की दरों में 66 फीसदी इजाफे के साथ जीने को मजबूर हो रही है। इस महीने जारी किए गए सेव द चिल्ड्रन के एक सर्वे के मुताबिक, श्रीलंका के आधे परिवारों को अपने बच्चों को आधा पेट खाना खिलाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। मंगलवार को आईएमएफ की तरफ से मिली मदद के बाद नागरिकों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि फंड उनके कुछ बोझ को कम करेगा।
चीन था सबसे बड़ी बाधा
चीन की तरफ से श्रीलंका को किसी तरह का कोई वित्तीय आश्वासन नहीं मिल रहा था। इसकी वजह से श्रीलंका को बेलआउट पैकेज हासिल करने में काफी मुश्किल हुईं। एक बार जब चीन ने इस महीने अपना समर्थन दिया तो श्रीलंका के साथ आईएमएफ की डील को मंजूरी मिल गई। श्रीलंका, एशिया और प्रशांत विभाग के आईएमएफ मिशन के वरिष्ठ प्रमुख पीटर ब्रेउर ने कहा कि किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए बेलआउट को मंजूरी देने के लिए आईएमएफ के लिए ऋण स्थिरता प्रमुख मानदंडों में से एक था।