नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाई कोर्ट के एक जज को उनके एक आदेश के लिए खूब सुनाया है। दरअसल, हाई कोर्ट ने आंध्र के पूर्व मंत्री वाईएस विवेकानंद रेड्डी की हत्या की जांच कर रही सीबीआई को जांच के घेरे में चल रहे वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद वाईएस अविनाश रेड्डी को पहले ही लिखित प्रश्नावली देने का आदेश दिया था। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की पीठ ने हाई कोर्ट के आदेश को अनुचित बताया। पीठ ने कहा, ‘अगर जांच के लिए यही मानक (SOP) है तो सीबीआई और ईडी को बंद कर दिया जाए। ऐसे में हर कोर्ट फिर एजेंसियों से कहेगा कि पूछताछ के दौरान आरोपी व्यक्ति को लिखित सवाल दिए जाएं।’ इसके साथ ही कोर्ट ने HC की ओर से सीबीआई को दिए निर्देश को भी रद्द कर दिया। SC ने यह जरूर कहा है कि हाई कोर्ट गुण-दोष के आधार पर अविनाश रेड्डी की अग्रिम जमानत याचिका पर आगे बढ़ सकता है।
अविनाश रेड्डी, वाईएस विवेकानंद रेड्डी के भतीजे हैं। वह आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी के चचेरे भाई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अविनाश रेड्डी के वकील रंजीत कुमार की उन दलीलों को खारिज कर दिया कि उन्हें कम से कम 24 घंटे के लिए गिरफ्तारी से संरक्षण दिया जाए क्योंकि अग्रिम जमानत याचिका पर तेलंगाना हाई कोर्ट में 25 अप्रैल को सुनवाई होनी है। पीठ ने कहा, ‘कुछ मिनट पहले, आप याचिका वापस लेना चाहते थे। सामान्य मामले में हम अग्रिम जमानत याचिका को वापस लेने की अनुमति देते और आगे बढ़ जाते। लेकिन इस मामले में हमारा कहना है कि हाई कोर्ट इस तरह के आदेश नहीं दे सकता है। हम हाई कोर्ट के आदेश से वाकई परेशान हैं। अगर सीबीआई को आपको गिरफ्तार करना होता तो पहले कर लेती। सीबीआई ने बेहद संयम दिखाया है।’