इंदौर के शासकीय लॉ कॉलेज की लाइब्रेरी में मिली विवादास्पद किताब ‘सामूहिक हिंसा एवं दाण्डिक न्याय पद्धति’ की लेखिका डॉ. फरहत खान परिवार समेत फरार हो गई हैं। पुलिस उनके घर पहुंची तो दरवाजे पर ताला लटकता मिला। बताया जा रहा है कि लेखिका रविवार रात को ही घर से गई हैं। जांच कमेटी आज स्टूडेंट्स के बयान लेगी। इधर, एक लॉ स्टूडेंट का कहना है कि कॉलेज SC-ST के बच्चों में जहर घोलने का काम कर रहा है। किताब में लिखा है कि दलित वर्ग और मुस्लिम वर्ग वो दोनों ठीक हैं। हिंदुओं में जो उच्च कोटि के हैं वो खराब हैं। इस तरह समाज को तोड़ने का काम किया जा रहा है।
बता दें, लॉ कॉलेज में प्रोफेसरों पर धार्मिक कट्टरता फैलाने और अनुशासनहीनता के आरोप लगे हैं। कॉलेज की लाइब्रेरी में भी विवादित किताबें मिली हैं, जिनमें हिंदू को आतंकवादी बताया गया है। छात्राओं ने धर्म विशेष के प्रोफेसरों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि प्रोफेसर्स लड़कियों को बाहर घुमाने, मूवी दिखाने और पब जाने के लिए दबाव बनाते हैं। कॉलेज में लव जिहाद को बढ़ावा दिया जा रहा है।
लेखिका का मोबाइल बंद, लोकेशन पता कर रही पुलिस
पुलिस
ने शासकीय नवीन लॉ कॉलेज के छात्र लक्की आदिवाल की शिकायत के बाद तत्कालीन
प्राचार्य डॉ. इनामुर्रहमान, टीचर मिर्जा मोजिज बेग, किताब की लेखिका डॉ.
फरहत खान और प्रकाशक अमर लॉ पब्लिकेशन के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज
किया है। ये धाराएं गैर जमानती है। केस दर्ज होने के बाद पुलिस अब आरोपियों
की तलाश में जुट गई है। सोमवार को भंवरकुआं पुलिस की टीम लेखिका डॉ. फरहत
खान के श्रीनगर कांकड़ स्थित घर पर पहुंची थी, जहां वे नहीं मिलींं। लेखिका
का मोबाइल भी बंद है। पुलिस लेखिका की लोकेशन का पता लगा रही है।
कम स्टूडेंट ही कॉलेज पहुंचे, पुलिस रही तैनात
रविवार
की छुट्टी के बाद सोमवार को कॉलेज खुला, हालांकि बहुत कम संख्या में
स्टूडेंट कॉलेज पहुंचे। कक्षाएं भी नहीं लगीं। फर्स्ट ईयर की क्लास में कुछ
लेक्चर हुए। बाद में उनकी भी छुट्टी कर दी गई। सुरक्षा के मद्देनजर
भंवरकुआं थाने का पुलिस स्टाफ परिसर में सुबह से मौजूद नजर आया। दोपहर में
कॉलेज में लॉ की परीक्षाएं आयोजित हुईं।
आज स्टूडेंट्स के बयान लेगी जांच कमेटी
छात्रों ने कहा है कि पिछले 2 साल से यहां ऐसा माहौल बन गया था कि तिलक लगाकर आने में भी फैकल्टी टोक देती थी। इतिहास के प्रोफेसर को मूट कोर्ट की जिम्मेदारी सौंप रखी थी, जबकि मूट कोर्ट छात्रों के भविष्य और प्रैक्टिकल नॉलेज के लिहाज से अहम होती है। इधर, जांच कमेटी मंगलवार को छात्रों के बयान लेगी। कमेटी छात्रों के बयानों के आधार पर प्राचार्य व फैकल्टी से फिर पूछताछ करेगी। इसी हफ्ते जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी जाएगी। पुलिस को भी उच्च शिक्षा विभाग द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है। पुलिस अपनी चार्जशीट में इस रिपोर्ट को बतौर सबूत लेगी।
पहले भी हुआ विवाद, पर किताब नहीं हटाई
विवादास्पद किताब को कॉलेज में 2014 में खरीदा गया था। उस वक्त कॉलेज की प्राचार्य डॉ. सुधा सिलावट थीं। उन्हीं की साइन से ऑर्डर दिया गया। हालांकि, यह बात सामने आई है कि 3 प्रोफेसर तत्कालीन विभागाध्यक्ष डॉ. निर्मल पगारिया, डॉ. जेके जैन और प्रवीण चौधरी की 2012 में की गई अनुशंसा पर किताब खरीदी गई थी। किताब को लेकर छिड़े विवाद के बाद मार्च-2021 में अमल पब्लिकेशन और किताब की लेखिका डॉ. फरहत खान ने माफी मांगी थी। इसके बावजूद लाइब्रेरी से किताब नहीं हटाई गई, जबकि वह कोर्स का हिस्सा भी नहीं थी।
SC-ST के बच्चों में जहर घोलने का काम कर रहा कॉलेज लॉ कॉलेज के स्टूडेंट लक्की आदिवाल का कहना है कि मैं खुद SC वर्ग से आता हूं। मुझे भी नि:शुल्क किताब दी गई। कॉलेज प्रशासन SC-ST के बच्चों में जहर घोलने का काम कर रहा है। क्योंकि जिन बच्चों को नि:शुल्क बुक दी जाती है, वो तो इन किताबों को ही पढ़ेंगे। इसी को पढ़कर अपना ज्ञान तीन-चार साल तक विकसित करेंगे। परीक्षा के दौरान पेपर में लिखना भी वही पढ़ेगा। इसी प्रकार की मानसिकता को लेकर वो कोर्ट में जाएंगे, जो निष्पक्षता से किसी के लिए खड़े नहीं रह सकते।